Edited By Monika Jamwal,Updated: 17 Apr, 2019 05:38 PM
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान श्रीनगर में 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने के बावजूद महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए चुनावों क लिए प्रचार के दौरान जिला में...
श्रीनगर : वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान श्रीनगर में 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने के बावजूद महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए चुनावों क लिए प्रचार के दौरान जिला में कोई भी ‘मेगा पोल रैली’ आयोजित करने में नाकाम रही। महबूबा मुफ्ती ने श्रीनगर संसदीय सीट के बडगाम और गांदरबल जिलों के हिस्सों में प्रचार किया और पी.डी.पी. उम्मीदवार आगा मोहसीन के पक्ष में कई रैलियों को संबोधित किया। हालांकि, उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी नेशनल कांफ्रैंस द्वारा श्रीनगर में तीन रैलियों का आयोजित किए जाने के बावजूद पी.डी.पी. श्रीनगर जिला में अपनी अनुपस्थिति के साथ स्पष्ट थी।
पी.डी.पी. के एक नेता ने कहा कि श्रीनगर के पार्टी नेताओं में समय की कमी और महबूबा के विश्वास के कारण पार्टी ने उनके लिए मेगा रैली आयोजित नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि हमने श्रीनगर को नहीं छोड़ा। हमारे नेताओं ने श्रीनगर के लगभग सभी निर्वाचन क्षेत्रों में रैलियों का आयोजन करके संबोधित किया। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद से पी.डी.पी. ने जिला में अपने पूर्व विधायकों में से दो को खो दिया। जड़ीबल निर्वाचन क्षेत्र से आबिद अंसारी पीपुल्स कांफ्रैंस में शामिल हो गए और अमीरा कदल निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व मंत्रिमंडल सदस्य सैयद अल्ताफ बुखारी अब लोकसभा चुनावों में नेशनल कांफ्रैंस उम्मीदवार फारुक अब्दुल्ला का समर्थन कर रहे हैं।
हालांकि, पी.डी.पी. के पास अभी भी दो पूर्व मंत्री मोहम्मद अश्रफ मीर और आसिया नकाश हैं। वहीं, पिछले साल जून महीने में पी.डी.पी.-भाजपा सरकार के गिरने के बाद से आसिया नकाश चुनाव प्रचार और पार्टी गतिविधियों के दौरान स्पष्ट रुप से अनुपस्थित रही हैं। पार्टी नेता के अनुसार नकाश की अपनी कार्यशैली है। वह जिस तरह से अच्छा प्रदर्शन कर रही है, उस तरह से वह निर्वाचन क्षेत्र में अपना काम कर रही हैं। वर्ष 2017 में पी.डी.पी. ने श्रीनगर संसदीय सीट को उप चुनावों में नेशनल कांफ्रैंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला से हार हासिल की। उस वक्त पी.डी.पी. की ओर से तारिक हमीद कर्रा मैदान में थे जिन्होनें बाद में पार्टी को छोड़ दिया।