Edited By Monika Jamwal,Updated: 03 Jul, 2018 01:54 PM
प्रदेश में पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन सरकार टूटने के बाद पी.डी.पी. के भीतर मतभेद दिन प्रति दिन उजागर हो रहे हैं जिसके चलते पार्टी टूटने की कागर पर पहुंच गई हैं।
श्रीनगर : प्रदेश में पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन सरकार टूटने के बाद पी.डी.पी. के भीतर मतभेद दिन प्रति दिन उजागर हो रहे हैं जिसके चलते पार्टी टूटने की कागर पर पहुंच गई हैं। गत रात वरिष्ठ पी.डी.पी. नेता और विधायक जडीबल आबिद हुसैन अंसारी द्वारा पार्टी की शर्मिंदगी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और पी.डी.पी. अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की नीतियों को मुख्य कारण करार देते हुए पार्टी के नेतृत्व पर पक्षपात का आरोप लगाया था। यही नही आबिद ने दोहराया कि उन्होने गठबंधन के अंत से पहले महबूबा मुफ्ती द्वारा लिए गए कई फैसलों को चुनौती दी थी।
वहीं, सोमवार को दो और पी.डी.पी. नेताओं ने पी.डी.पी. के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और पी.डी.पी. अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की नीतियों की आलोचना की। राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता बढऩे के दौरान पी.डी.पी. के भीतर मतभेद सामने आ रहे हंै। पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा चुप्पी को तोड़ते हुए मतभेदों का सार्वजनिक रुप से खुलासा करना शुरु हो गया है जिससे पार्टी को और ज्यादा शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है।
महबूबा पर पार्टी को नाकाम करने का आरोप
नवीनतम विकास में पी.डी.पी. के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री इमरान राजा अंसारी ने महबूबा मुफ्ती को निशाना बनाने हुए उन पर ‘अक्षम’ रहने का आरोप लगया जो उनके शासन के पतना का कारण बन गया। पूर्व आई.टी. मंत्री ने कहा कि महबूबा ने न सिर्फ पी.डी.पी. को पार्टी के रुप में नाकाम कर दिया बल्कि उनके अपने पिता और पी.डी.पी. के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद के सपनों और उम्मीदों को तोड़ दिया। सत्ता की लालच के लिए सरकार से समर्थन वापस लोने के लिए भाजपा को दोषी ठहराए जाने के बजाय महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व की नाकामी से सरकार टूट गई।
पीडीपी को परिवार की पार्टी बना दिया
अंसारी ने कहा कि पी.डी.पी. और सरकार को देर से एक पारिवारिक ओपेरा बना दिया गया जहां भाई, चाचा, चाची और अन्य रिश्तेदार नायक की भूमिका निभा रहे हैं और इस तरह की पार्टी के साथ जारी रहना न सिर्फ बेकार बल्कि अपमान भी था। पूर्व मंत्री ने कहा कि उन्होंने अब पार्टी से दूर रहने का फैसला लिया है जहां वरिष्ठ नेताओं की राय का कोई अर्थ नहीं है। हालांकि, उन्होने विधायक या पार्टी की मूल सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है लेकिन स्पष्ट कर दिया कि पार्टी ने अपनी सार को खो दिया है और इस तरह की पार्टी का नेता कहलाना अर्थहीन है।