Edited By Pardeep,Updated: 25 Apr, 2019 04:45 AM
चुनावी माहौल में महिला वोटों को रिझाने के लिए महिला सशक्तिकरण और आरक्षण जैसे कई वायदे विभिन्न चुनावी दलों ने किए हैं लेकिन देशभर में सैक्स वर्कर्स के तौर पर काम करने वाली लगभग 50 लाख महिलाओं के लिए अभी भी चुनाव के अहम मुद्दे पहचान सुनिश्चित करने...
इलेक्शन डेस्क: चुनावी माहौल में महिला वोटों को रिझाने के लिए महिला सशक्तिकरण और आरक्षण जैसे कई वायदे विभिन्न चुनावी दलों ने किए हैं लेकिन देशभर में सैक्स वर्कर्स के तौर पर काम करने वाली लगभग 50 लाख महिलाओं के लिए अभी भी चुनाव के अहम मुद्दे पहचान सुनिश्चित करने वाले सरकारी दस्तावेज, बैंक खाते, पैंशन और उनके बच्चों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधा दिलवाना है।
बीते सप्ताह दिल्ली में विभिन्न महिला संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर जुलूस निकाला। दिल्ली के जी.बी. रोड में काम करने वाली एक सैक्स वर्कर ने कहा, ‘‘कोलकाता के सोनागाछी में काम करने वाली अधिकतर सैक्स वर्कर्स के बैंक खाते खुले हैं। इससे वे अपनी बचत की रकम उसमें जमा कर सकती हैं लेकिन दिल्ली या देश के अन्य शहरों में हम जैसी कई सैक्स वर्कर्स के पास पहचान पत्र, आधार या अन्य किसी तरह के सरकारी दस्तावेज ही नहीं हैं। जब एक उम्र के बाद हमारे पास काम नहीं होगा तो उसके लिए हम अपनी बचत को जमा कैसे करेंगे? यदि हमारे बैंक खाते नहीं खुल सकते तो सरकार को हमें 45 की उम्र के बाद कम से कम पैंशन ही देनी चाहिए।’’
सैक्स वर्कर्स के बीच काम करने वाले संगठन ‘ऑल इंडिया नैटवर्क ऑफ सैक्स वर्कर्स’ (ए.आई.एन.एस.डब्ल्यू.) की अध्यक्ष कुसुम ने कहा, ‘‘आमतौर पर समाज में लोग सैक्स वर्कर्स को फिल्म या टैलीविजन में उनके चित्रण से जानने-समझने की कोशिश करते हैं लेकिन हकीकत में उनकी समस्याएं टी.वी. की दुनिया से बहुत अलग है। देशभर में महिला अधिकारों की बात हो रही है।
हम चाहते हैं कि राजनीतिक दल हमें कम से कम महिलाओं के मूलभूत अधिकार देने की बात तो करें।’’ एक अन्य सैक्स वर्कर ने कहा कि यौन कर्मियों के रहने के स्थान, उनके काम के चयन को लेकर उन्हें सामाजिक सुविधाओं की प्राप्ति में भेदभाव और अपमान सहना पड़ता है। यौनकर्मियों के बच्चों को समान अवसर उपलब्ध होने चाहिएं। उन्हें स्कूलों में दाखिला मिलना चाहिए।