पंजाब केसरी स्पेशल : अधुनिक भारत में तालाब का गंदा पानी पीने को मजबूर 2 हजार लोग

Edited By Monika Jamwal,Updated: 15 Oct, 2018 02:21 PM

people are forced to drink polluted water in samba

एक तरफ हमारा देश तरक्की करके अंतरिक्ष तक पहुंच गया है तो वहीं कुछ जगहों पर इसी देश की जमीनी सच्चाई यह भी है कि लोगों को तालाबों का गंदा पानी पीकर अपना गुजारा करना पड़ रहा है, जिससे सरकार और जिला प्रशासन के बच्चों को छोटी आयु में बेहतर पोषण देने के...

साम्बा (अजय सिंह): एक तरफ हमारा देश तरक्की करके अंतरिक्ष तक पहुंच गया है तो वहीं कुछ जगहों पर इसी देश की जमीनी सच्चाई यह भी है कि लोगों को तालाबों का गंदा पानी पीकर अपना गुजारा करना पड़ रहा है, जिससे सरकार और जिला प्रशासन के बच्चों को छोटी आयु में बेहतर पोषण देने के दावे खोखले पड़ जाते हैं। प्रशासन के सुस्त दावों की एक मिसाल जिला साम्बा की पहाड़ी पंचायत कारड के गांवों को देखकर ही पता चल जाती है। मोदी सरकार हो यां भूतपूर्व राज्य सरकार लेकिन इन गांवों को आज भी पानी साल में चंद दिनों की गिनती के हिसाब से ही मिलता है। वहीं अगर कुदरत यां भगवान की मेहरबानी से बारिश ही न हो पाए तो यह लोग इस अधुनिक दौर में तालाबों का गंदा पानी भी नहीं मिलने से  दम तोड़ सकते हैं। 

PunjabKesari कारड पंचायत के गांव कांगजली, कारड, कनेर, लेयान बगुन और जीड गांव में पिछले 2 महीने से पी.एच.ई. के पानी की सप्लाई पूरी तरह से ठप्प है। 2 हजार की आवादी वाले इन सभी गांवों की सच्चाई यह है कि जब इस सीजन की बरसात की शुरूआत हुई थी तो इन गांवों को पानी की सप्लाई करने वाली पाइपे ही पानी में बह गई तो ऐसे में दफ्तरों में बैठे अधिकारी अब इस बात का इंतजार करने की फिराक में दिख रहे हैं कि बरसात का सीजन पूरी तरह से खत्म हो जाए और दूसरा विभाग गांव तक पहुंचने के लिए कच्चा रास्ता बनाए, फिर व नई पाइप लगाने के लिए पी.एच.ई. के कर्मी गाडिय़ों में बैठकर गांव तक पहुंचकर अपने दावे दिखाकर पानी की सप्लाई देने का दावा करेंगे। वहीं इन गांवों तो विभाग की गाडिय़ां भी नहीं पहुंच सकती है, जिसके सहारे यह लोग कुछ दिन गुजार सके और ऐसे में इनके पास तालाबों के पानी के सिवाए कोई उपाय ही नहीं रहता है।

ग्राउंड पर पंजाबी केसरी की रिपोर्ट
 पंजाब केसरी ने जब इन गांवों की ग्राऊंड सच्चाई देखी तो इंसान से लेकर जानवर तक एक ही तालाब का पानी पीने को मजबूर दिखे, क्योंकि न तो इंसानों के लिए पी.एच.ई. विभाग की सप्लाई 2 महीने से चल रही है और न ही जानवरों के लिए कोई अलग तालाब बना हुआ है, जिसे पीकर व अपना गुजारा कर सके। प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम तक अलग -अलग गांवों के लोग अपने तालाबों से पानी लेकर उसे पीते हैं और उसी से खाना बनाते हैं, जबकि बच्चें भी अच्छे पोषण की आस में यही पानी पीते हैं। सुबह स्कूल जाने के लिए जब इन गांवों के बच्चे उठते हैं तो तालाबों के बीच छलांग लगाकर नहाते हैं और उसे ही अपनी बोतल में भरकर पीने के लिए ले जाते हैं, जिससे साफ साबित होता है कि इन बच्चों की सेहत पर खतरे की घण्टी लटकी हुई है।\PunjabKesari

साल भर पहले हो चुके हैं बीमार
इन गांवों के लोग सरपंच सहित एक साल पहले भी तालाब का गंदा पानी पीकर बीमार हो गए थे, जिसके बाद गहरी ङ्क्षनद में सोए विभाग की ङ्क्षनद खुली थी और लोगों को स्वच्छ पानी मिला था और अब इस बार भी ऐसा ही दिख रहा है। वहीं एक सच्चाई यह है कि इन गांवों का शहर तक से सफर भी महीने में एक बार भी होता है, क्योंकि गांव और शहर के बीच का फासला लगभग 30 किलोमीटर के करीब बनता है, जिसमें दस किलोमीटर तो पैदल सफर तय करना पड़ता है। पहाड़ी गांव होने के चलते ही दफ्तरों में बैठकर बड़े-बड़े दावे करने वाले विभाग बस यह कहकर इन लोगों को चुप करवा देते हैं कि बस कुछ दिन ओर इंतजार करो पानी मिल जाएगा।

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गांव के लोगों का पी.एच.ई. विभाग के प्रति कड़ा रोष, अधुनिक भारत के सपने का झूठा बताया
 कई सालों से लड़ाई लड रहे पूर्व सरपंच रणजीत सिंह सहित अन्य लोगों ने कहा कि पी.एच.ई. विभाग के कर्मियों के समक्ष अपनी मांग रखते रखते अब व पूरी तरह से थक चुके है ।  विभाग के अधिकारी अगर एक बार भी इस पानी को पी लेंगे तो व दस दिन तक अस्पताल में ही दाखिल हो जाएंगे, क्योंकि यह मजबूरी सिर्फ इन गरीब लोगों तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से बारिश नहीं होने के चलते तो अब तालाब के पानी पर भी काई(पिलशी) तक जम गई है, जिसे देखकर ही मन खराब हो जाता है, लेकिन हमारे गांव के लोगों के लिए यही एक सहारा है। उन्होंने कहा कि शहरी लोग तो 2 दिन पानी नहीं मिलने पर राजमार्ग बंद करके अपनी मांग को पूरा करवा लेंते हैं, लेकिन इन गांवों के लोगों के पास को प्रशासन पर दबाव डालने का भी कोई सहारा नहीं है। रणजीत सिंह ने कहा कि गांव में कोई भी समस्या आ जाए तो उसे ठीक होने में कई महीने लग ही जाते हैं। उन्होंने कहा कि गांव के बच्चे भी इस पानी से बिमार होते है, लेकिन फिर मजबूरी में उसी पानी को पीना पड़ता है। उन्होंने राज्यपाल और डिसी साम्बा से मांग करते हुए कहा कि उनकी समस्या की तरफ ध्यान देकर इसका हल निकाला जाए और ऐसे कर्मियों को कड़े निर्देश जारी किए जाएं ताकि गांव के लोग भी सुखी जीवन जी सके।

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तालाब का गंदा पानी पीने से क्या-क्या हो सकती है बिमारी
इस मामले पर पंजाब केसरी ने जब तालाब से होने वाली बीमारियों को व्यौरा हालिस किया तो यह पाया गया कि इस पानी को पीने से पेट खराब, जांडिस, दस्त, उल्टी और टाइडफाइड(मनियादी बुखार) जैसी गम्भीर बिमारी हो सकती है और इससे गम्भीर लक्षण होने पर मरीज की जान भी जा सकती है। डाक्टरों ने बताया कि गंदा पानीे को पीने से जितना परहेज किया जाए उतना ही सेहत के लिए अच्छा रहेगा। उन्होंने बताया कि खासकर बच्चे इस पानी से न हाथ धोएं और न ही पीएं।
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क्या कहना है एक्सियन पी.एच.ई का

इस मामले पर एक्स्यिन पी.एच.ई. एन.के. गुप्ता ने कहा कि एक गांव में पानी की समस्या बिजली ट्रांसफार्मर की खराब से हुई है और उसे जल्द ठीक कर दिया जाएगा। वहीं अन्य गांवों में पानी सप्लाई पर एक्सियन ने कहा कि उनकी सप्लाई बहाल करने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि पाइपों को धान के खेतों के बीच से निकालना पड़ता है, जबकि खेतों में अभी पानी है और जब स्थिति ठीक होगी तो यह समस्या हल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि बारिश की बजह से सप्लाई ठप्प हुई थी।

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3-4 दिन में पानी की सप्लाई बहाल करेंगे: विधायक
इस संबंध में जब पूर्व मंत्री व विधायक साम्बा डा. देवेंद्र कुमार मन्याल से बातचीत की गई तो उन्होंने पूरा भरोसा दिलाते हुए कहा कि यह पहाड़ी गांव उनकी पहचान है और दिन-रात काम करके यह प्रयास किया जाएगा कि 3 दिन में पानी की सप्लाई बहाल हो सके। उन्होंने कहा कि बरसात के दिनों में इन गांवों की पूरी पाइप लाइन की बह गई थी, जिसे अब कच्चा रास्ता बनाकर गांव तक पाइपे पहुंचाकर उन्हें फिट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बरसात के दिनों में इन गांवों के लिए यह समस्या आ जाती है, जिसमें अब स्थायी तौर पर हल करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को जमीनी स्तर पर उताकर इन गांवों का उज्जवल भविष्य बनाया जाएगा।
 
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