Edited By Parminder Kaur,Updated: 01 Sep, 2024 10:22 AM
मुंबई डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल सोसायटी (MDACS) ने एक नई पहल शुरू की है ताकि ऑनलाइन सेक्स और समलैंगिक लोगों को एचआईवी के खतरे से जागरूक किया जा सके। इस पहल के तहत MDACS ने एचआईवी केयर गिवर की मदद से कई डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल किया, जिनके माध्यम से...
नेशनल डेस्क. मुंबई डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल सोसायटी (MDACS) ने एक नई पहल शुरू की है ताकि ऑनलाइन सेक्स और समलैंगिक लोगों को एचआईवी के खतरे से जागरूक किया जा सके। इस पहल के तहत MDACS ने एचआईवी केयर गिवर की मदद से कई डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल किया, जिनके माध्यम से ऐसे लोगों तक पहुंच बनाई गई, जो डेटिंग ऐप्स के जरिए सेक्स संबंध बना रहे थे। इन लोगों की जांच की गई और 770 लोगों में से 40 में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई।
आजकल लोग रिलेशनशिप बनाने के लिए डेटिंग ऐप्स और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग कर रहे हैं। इसमें अपोजिट जेंडर के अलावा समलैंगिक लोग और सेक्स वर्कर्स भी शामिल हैं। एक से अधिक सेक्सुअल पार्टनर्स के साथ असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से एचआईवी या अन्य यौन संचारित रोग (एसटीडी) का खतरा रहता है। ऐसे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए इंटरनेट बेस्ड इंटरवेंशन की जरूरत थी। इसी को ध्यान में रखते हुए MDACS ने एचआईवी केयर गिवर के माध्यम से ऐसे लोगों तक पहुंचने का फैसला किया। इस ऑनलाइन इंटरवेंशन को धीरे-धीरे ही सही, लेकिन सफलता मिल रही है।
पहचान सामने आने का डर
MDACS के एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. विजय करंजकर ने बताया कि लोग अक्सर सार्वजनिक हेल्थ सेटअप में जांच के लिए जाने से कतराते हैं क्योंकि वहां लंबी कतारें होती हैं और उनकी पहचान उजागर होने का डर रहता है। इस समस्या को हल करने के लिए एमडैक्स ने शुरुआत में मुंबई के 5 आईसीटीसी (इंटीग्रेटेड चेकअप एंड काउंसलिंग सेंटर) केंद्रों को चुना। इन केंद्रों पर लोगों को प्राथमिकता दी जाती है, यानी वहां उन्हें तुरंत सेवा मिलती है और कोई लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता। अब मुंबई के सभी 44 आईसीटीसी केंद्रों पर यह सुविधा उपलब्ध है। आईसीटीसी केंद्र, हेल्थ पोस्ट और बीएमसी अस्पतालों में एचआईवी की जांच मुफ्त होती है और किसी भी प्रकार के पर्चे की जरूरत नहीं होती। अधिक जानकारी के लिए लोग टोल फ्री नंबर 1097 पर कॉल कर सकते हैं।
घंटों काउंसलिंग के बाद टेस्ट के लिए मानते हैं लोग
एमडैक्स के एक अधिकारी ने बताया कि ऑनलाइन इंटरवेंशन एक कठिन काम है, जिसमें धैर्य और समय की जरूरत होती है। इसमें व्यक्ति का विश्वास जीतना और उसकी पहचान गुप्त रखना महत्वपूर्ण होता है। घंटों चैट और काउंसलिंग के बाद ही लोग जांच के लिए राजी होते हैं।
कैसे करते हैं पार्टनर की खोज
कुछ साल पहले एमडैक्स ने समलैंगिक और ट्रांसजेंडर लोगों में ऑनलाइन पार्टनर्स खोजने और हाई रिस्क वाली आदतों पर एक अध्ययन किया था। इस अध्ययन में 8,582 समलैंगिक और 4,163 ट्रांसजेंडर शामिल थे। अध्ययन में यह जानने की कोशिश की गई कि वे अपने पार्टनर को खोजने के लिए कौन से डेटिंग ऐप्स का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा उनके सेक्सुअल बिहेवियर, ग्रुप रिलेशन बनाने, पार्टी अटेंड करने और एचआईवी स्टेटस की जानकारी पर भी सवाल पूछे गए। अध्ययन के परिणाम के अनुसार, ऑनलाइन पार्टनर की खोज के लिए 48% समलैंगिक लोग ग्राइंडर ऐप का इस्तेमाल करते हैं, 42% फेसबुक का और 36% ब्लूह ऐप का उपयोग करते हैं।