आंध्र प्रदेशः जिले का नाम बदलने पर लोगों ने फूंक दिया मंत्री का घर, आगजनी में कई घायल

Edited By Yaspal,Updated: 24 May, 2022 09:49 PM

people set on fire the minister s house after changing the name of the district

आंध्र प्रदेश के अमलापुरम शहर में मंगलवार को हिंसक भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें कम 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए। कोनसीमा साधना समिति (केएसएस) की ओर से निषेधात्मक आदेशों की अवहेलना कर जिले का नाम बदलने के विरोध में एक रैली निकाली गयी और पुलिस ने जब...

नेशनल डेस्कः आंध्र प्रदेश के अमलापुरम शहर में मंगलवार को हिंसक भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें कम 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए। कोनसीमा साधना समिति (केएसएस) की ओर से निषेधात्मक आदेशों की अवहेलना कर जिले का नाम बदलने के विरोध में एक रैली निकाली गयी और पुलिस ने जब प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, तो हंगामा शुरू हो गया। घायलों में दो क्षेत्रीय निरीक्षक (सीआई), तीन उप निरीक्षक शामिल हैं। वहीं पुलिस उपाधीक्षक माधव रेड्डी बेहोश हो गए। हंगामा तब शुरू हुआ, जब पुलिस ने कलासम केंद्र से रैली को कलेक्ट्रेट की ओर बढ़ने से रोकने का प्रयास किया।

भीड़ द्वारा पुलिस पर पथराव करने से स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई, जिसके बाद लाठीचार्ज किया गया। बढ़ती भीड़ ने वाहनों को नुकसान पहुंचाया और पुलिस पर हमला भी किया। दो स्कूल बसों में आग लगा दी गई और तीन आरटीसी बसों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पूरे अमलापुरम शहर अफवाहों से माहौल गर्म रहा और पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रही। भीड़ ने लगभग एक घंटे तक हंगामा किया। उग्र भीड़ ने मंत्री पिनिपे विश्वरूप के कैंप हाउस पर हमला किया और कार्यालय के फर्नीचर में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। हमलों के डर से लोग घरों में बंद रहे और सड़कों पर युद्ध के मैदान जैसा नजारा देखा गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काकीनाडा और राजमुंदरी से अतिरिक्त बलों को अमलापुरम भेजा गया है।

अमलापुरम के पूर्व सांसद जी.वी. हर्षकुमार ने पूरी स्थिति के लिए वाईएसआरसीपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि समस्या केवल उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना जिले का नाम बदलने में सरकार के जल्दबाजी में उठाए गए कदम के कारण उत्पन्न हुई। उन्होंने कहा,‘‘यदि एनटीआर जिला अन्नामय्या जिले और अल्लुरु सीतारामराजू जिलों जैसे नए जिलों के गठन के समय डॉ. अंबेडकर के नाम पर जिले का नाम रखा गया होता, तो किसी को भी इस पर आपत्ति नहीं होती, लेकिन दो महीने के बाद एक वर्ग की मांग के बाद और औपचारिक आपत्तियों को सुने बिना नाम बदलने के लिए अधिसूचना जारी करने से गलत संदेश गया है। इससे अन्य वर्गों को परेशानी में डाल दिया है, जिसे टाला जा सकता था।'' उन्होंने कहा,‘‘यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि भारत रत्न डॉ. अम्बेडकर का नाम विवाद में घसीटा गया।''

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