Edited By Priyanka rana,Updated: 26 May, 2020 03:33 PM
शहर के प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस बढ़ौतरी को लेकर अभिभावकों में बहुत ज्यादा रोष बढ़ गया है।
चंडीगढ़ (आकृति) : शहर के प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस बढ़ौतरी को लेकर अभिभावकों में बहुत ज्यादा रोष बढ़ गया है। सैक्टर-52 के रहने वाले अतुल बोहरा ने पी.एम. को लैटर लिखकर किडनी बेचने की इजाजत मांगी है ताकि वे अपने बच्चों की फीस भर सकें। चंडीगढ़ प्रशासन व शिक्षा विभाग की ओर अभिभावकों को इंसाफ दिलवाने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है।
नौकरी छूट गई, कहां से भरें बच्चे की स्कूल फीस?
पत्र में सैक्टर-52 के रहने वाले अतुल वोहरा ने लैटर में लिखा कि उनका बेटा सैक्टर-44 के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है। लॉकडाऊन की वजह से नौकरी छूट गई। न मेरी सैलरी आ रही है, जिससे घर चलाना मुश्किल हो गया है। वहीं, स्कूल द्वारा पूरी फीस मांगी जा रही है, जो 32000 रुपए है।
घर का रैंट व किश्तें देनी मुश्किल हो गई हैं। मेरे परिवार में पांच मैंबर हैं। मैं अपनी माता की पैंशन पर गुजारा कर रहा हूं। वहीं, परिवार का कोर्ट में एक केस चल रहा है और उस केस में वकील की फीस देने तक के पैसे नहीं हैं। वोहरा ने लिखा कि कानून में संशोधन किया जाए और किडनी बेचने की कानूनी तौर पर इजाजत दी जाए ताकि वे पैसा इकट्ठा कर के फीस जमा करवा सकें।
प्राइवेट स्कूल कर रहे मनमानी :
वोहरा ने लैटर में लिखा कि प्राइवेट स्कूल फीस को लेकर मनमानी कर रहा है। विभाग द्वारा खिलाफ कोई का कार्रवाई नहीं की जा रही है। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के आदेशों के बाद जो फीस रैगुलेटरी अथॉरिटी बनाई थी, उसने भी कोई काम नहीं किया।
फीस रैगुलेटरी एट चंडीगढ़ में अप्रैल-2018 से लागू है, जिसके तहत स्कूलों के लिए अपनी बैलेंसशीट और इनकम व खर्चे का ब्यौरा अपनी वैबसाइट पर अपलोड करना जरूरी है। दो साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने एक भी स्कूल के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। वहीं, चंडीगढ़ पेरैंट्स एसोसिएशन के प्रैजीडैंट नितिन गोयल ने बताया कि एजुकेशन डिपार्टमैंट की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है।