नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

Edited By Yaspal,Updated: 14 Jan, 2019 07:57 PM

petition filed in supreme court against nageshwar rao

देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई इस समय अपने मुश्किल दौर से गुजर रही है। आलोक वर्मा की डायरेक्टर पद से छुट्टी के बाद एम नागेश्वर राव को अंतिरम निदेशक...

नेशनल डेस्कः भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एम नागेश्वर राव की केन्द्रीय जांच ब्यूरो के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति को चुनौती देते हुये सोमवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय चयन समिति द्वारा भ्रष्टाचार और कार्य के प्रति लापरवाही के आरोपों में 10 जनवरी को आलोक वर्मा को जांच एजेन्सी के निदेशक पद से हटाये जाने के बाद सरकार ने नये निदेशक की नियुक्ति होने तक एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया है। सरकार ने इससे पहले भी आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को अवकाश पर भेजते समय उन्हें पिछले साल 23 अक्तूबर को अंतरिम निदेशक बनाया था।

गैर सरकारी संगठन ने दायर की याचिका
गैर सरकारी संगठन ‘कामन काज’ और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने यह जनहित याचिका दायर की है और इसमें जांच ब्यूरो के अंतरिम निदेशक के रूप में एम नागेश्वर राव की नियुक्ति निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारर्दिशता सुनिश्चित करने के लिये स्पष्ट व्यवस्था देने का अनुरोध किया गया है। जांच ब्यूरो के निदेशक के लिये उच्चाधिकार चयन समिति में प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय का कोई न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल हैं।

याचिका में क्या कहा गया है
अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर इस याचिका में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून, 1946 की धारा 4ए के तहत लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में किये गये संशोधन में प्रतिपादित प्रक्रिया के अनुसार केन्द्र को जांच ब्यूरो का नियमित निदेशक नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।  याचिका में आरोप लगाया गया है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की सिफारिश के आधार पर नहीं की गयी है। याचिका के अनुसार वास्तव में नागेश्वर राव की नियुक्ति के मामले में इस समिति को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है और इस तरह से यह नियुक्ति गैरकानूनी तथा कानून में प्रतिपादित प्रक्रिया के विपरीत है।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अनदेखी की
याचिका के अनुसार नागेश्वर को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का पिछले साल 23 अक्टूबर का आदेश शीर्ष अदालत ने आठ जनवरी को निरस्त कर दिया था लेकिन सरकार ने मनमाने, गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण तरीके से कदम उठाते हुये पुन: यह नियुक्ति कर दी। याचिका में सरकार को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि सीबीआई निदेशक पद के लिये अधिकारियों को सूचीबद्ध करने और निदेशक के चयन के तार्किक आधार और बातचीत से संबंधित सारा रिकार्ड सुरक्षित रखा जाये।

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