कोरोना: देश में आर्थिक आपातकाल लगाने की मांग वाली याचिका पर 2 सप्ताह बाद होगी सुनवाई

Edited By shukdev,Updated: 01 Apr, 2020 08:59 PM

petition seeking financial emergency will be heard after 2 weeks

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से लॉकडाउन के मद्देनजर देश में आर्थिक आपात लागू करने के लिए दायर याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी। इस याचिका में दलील दी गई है कि लॉकडाउन की वजह से देश में वित्तीय गतिविधियां ठहर...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से लॉकडाउन के मद्देनजर देश में आर्थिक आपात लागू करने के लिए दायर याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी। इस याचिका में दलील दी गई है कि लॉकडाउन की वजह से देश में वित्तीय गतिविधियां ठहर गई हैं। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए कहा कि इस पर दो सप्ताह बाद विचार किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर अपना कामकाज सीमित कर रखा है। न्यायालय ने पिछले सप्ताह एक सर्कुलर जारी करके कहा था कि सिर्फ अत्यावश्यक मामलों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की जाएगी। 

याचिकाकर्ता सेन्टर फॉर अकाउन्टेबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज नामक संगठन के अधिवक्ता विराग गुप्ता ने सुनवाई के दौरान 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान कामगारों के पलायन से संबंधित एक अन्य मामले में केन्द्र द्वारा मंगलवार को पेश स्थिति रिपोर्ट का हवाला दिया। उन्होने कहा कि केन्द्र ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को केन्द्र सरकार द्वारा जारी सभी निर्देशों और परामर्शों पर अक्षरश: अमल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था और उनके संगठन ने भी अपनी याचिका में इसी तरह का अनुरोध किया है। इस संगठन ने अपनी याचिका में कहा है कि अलग-अलग प्राधिकारियों के अलग-अलग निर्देशों की वजह से कोविड-19 की गंभीर स्थिति का सामना करने में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। इस लॉकडाउन की वजह से वित्तीय गतिविधियां ठहर गई हैं। 

याचिका में कहा गया है कि इस स्थिति से निबटने के लिए संविधान के अनुच्छेद 360 के अंतर्गत देश में आर्थिक आपात काल लागू करने की आवश्यकता है। याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान केन्द्र को बिजली, पानी, गैस, टेलीफोन, इंटरनेट और कर्ज की मासिक किश्तों की वसूली का काम निलंबित करने का निर्देश दिया जाए। इसी तरह, राज्य पुलिस और संबंधित प्राधिकारियों को केन्द्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों पर पूरी तरह अमल करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है ताकि आवश्यक सेवाएं किसी भी तरह से बाधित नहीं हो सकें।

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