संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवाद' और ‘धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने के लिए याचिका दायर

Edited By Yaspal,Updated: 28 Jul, 2020 11:58 PM

petition to remove these words from the preamble of the constitution

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें संविधान की प्रस्तावना से ‘‘समाजवाद'''' और ‘‘धर्मनिरपेक्ष'''' शब्दों को हटाने जाने का अनुरोध किया है, जिन्हें 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था। जनहित याचिका में कहा गया है कि 1976 में...

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें संविधान की प्रस्तावना से ‘‘समाजवाद'' और ‘‘धर्मनिरपेक्ष'' शब्दों को हटाने जाने का अनुरोध किया है, जिन्हें 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था। जनहित याचिका में कहा गया है कि 1976 में किया गया संशोधन ‘‘संवैधानिक सिद्धांतों के साथ-साथ भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विषय-वस्तु के विपरीत था।''

याचिका में कहा गया है, ‘‘यह कदम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में उल्लिखित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अवधारणा और अनुच्छेद 25 के तहत प्रदत्त धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के नजरिये से अवैध था।'' इसमें कहा गया है कि संशोधन भारत के महान गणराज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विषय-वस्तु के खिलाफ भी था।

अधिवक्ताओं बलराम सिंह और करुणेश कुमार शुक्ला और एक व्यक्ति प्रवीश कुमार द्वारा दायर याचिका में, ‘‘42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 की धारा 2 (ए) के जरिये संविधान की प्रस्तावना में शामिल शब्दों ‘समाजवाद' और ‘धर्मनिरपेक्ष' को हटाये जाने के लिये उचित निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया गया है।'' यह याचिका वकील विष्णु शंकर जैन के जरिये दाखिल की गई है।

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