पी.जी.आई. चंडीगढ़ के निदेशक पैनल पर ब्रेक

Edited By ,Updated: 16 Dec, 2016 07:49 AM

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उत्तर भारत के सबसे बड़े संस्थान पी.जी.आई. चंडीगढ़ के निदेशक की चयन प्रक्रिया पर नैशनल एस.सी. कमीशन ने फिलहाल ब्रेक लगा दी है। कमीशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार किए गए पैनल को रद्द कर दिया।

चंडीगढ़(अविनाश) : उत्तर भारत के सबसे बड़े संस्थान पी.जी.आई. चंडीगढ़ के निदेशक की चयन प्रक्रिया पर नैशनल एस.सी. कमीशन ने फिलहाल ब्रेक लगा दी है। कमीशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार किए गए पैनल को रद्द कर दिया। कमीशन के सदस्य ईश्वर सिंह ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि पैनल तैयार करने में पूरी तरह से योग्यता, अनुभव, वरिष्ठता और कार्यकाल को दरकिनार किया गया है। कमीशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को नए सिरे से नियमों के तहत पैनल बनाने के आदेश दिए हैं। कमीशन के इस सख्त रवैये से अभी पी.जी.आई. चंडीगढ़ को नया निदेशक मिलने में महीनों का वक्त लग सकता है। कमीशन के पास चंडीगढ़ के दलित संगठनों ने पैनल में तीसरे नंबर पर रखे गए डा. जगत राम की वरिष्ठता को नजरअंदाज किए जाने की शिकायत की थी। डा. जगतराम दलित समाज से ताल्लुक रखते हैं।

 

एस.सी. कमीशन में संगठन ने दी थी दलित उम्मीदवार से भेदभाव की शिकायत :
पी.जी.आई. चंडीगढ़ में निदेशक की चयन प्रक्रिया में वरिष्ठता सूची को दरकिनार करने के मामले में पिछले दिनों नैशनल एस.सी. कमीशन में शिकायत सौंपी गई थी। शिकायत कुछ दलित संगठनों ने एडवांस आई सैंटर के विभागाध्यक्ष डा. जगतराम को दरकिनार करने पर की थी। पिछले महीने कमीशन ने सुनवाई की थी जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव मिश्रा कमीशन में पेश हुए थे। उन्होंने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि पी.जी.आई. के निदेशक की चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होती है और इसके लिए एक पैनल बनाया गया है। उन्होंने बताया गया कि चयन प्रक्रिया में मैरिट और उपयुक्त व्यक्ति को ही तवच्चो दी जाती है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने बताया था कि चयन के लिए 5 स्लाइड बनाए गए हैं, जिनके अनुसार चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाता है। स्वास्थ्य सचिव ने कमीशन को यह भी बताया कि पैनल ने ही 3 नामों को हरी झंडी है। जिसके अनुसार चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।

 

कोर्ट में दी जा सकती है चुनौती :
निदेशक की नियुक्ति पर लगी ब्रेक के बाद अब कमीशन की सिफारिश गृहमंत्रालय जाएगी। लेकिन इस कमीशन की इस सिफारिश को निदेशक पद के अन्य दो उम्मीदवार कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं या पी.जी.आई. प्रशासन भी उपरोक्त पैनल को सही बताते हुए कोर्ट की शरण में जा सकता है। 


कमीशन ने पैनल के अहम बिंदुओं  पर जताई आपत्ति :
पी.जी.आई. चंडीगढ़ के निदेशक के नामों के पैनल के कागजातों को खंगालने के बाद कमीशन ने यह पाया कि जिस डा. जगतराम को नंबर 3 पर रखा गया है वह वरिष्ठता में सबसे ऊपर हैं। पी.जी.आई. की वरिष्ठता सूची में डा. जगतराम 7वें नंबर पर हैं जबकि अन्य दावेदार 27वें और 52वें नंबर पर हैं। डा. जगतराम पिछले 27 साल से एच.ओ.डी. के पद हैं, वहीं दूसरे दावेदारों में एक को एच.ओ.डी. बने 11 साल हुए हैं और दूसरे के पास एच.ओ.डी. का रैंक ही नहीं है। अवार्ड की बात करें तो डा. जगतराम के 54.10 अंक अवार्ड के बनते हैं। जबकि दूसरे के 40 और 13 फीसदी हैं। डा. जगतराम को कुल 24 अवार्ड मिले हैं, जिसमें 13 नैशनल और 11 इंटरनैशनल हैं। 

 

वहीं पैनल के अहम दावेदार की विजीलैंस जांच चल रही है और अवार्ड में भी वह काफी पीछे हैं। ऐसे में कमीशन के सदस्य ईश्वर सिंह ने सरकार के सिस्टम पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पैनल को देखने के बाद यह लगता है कि नाम पहले तय कर दिए गए थे और पैनल बाद में बनाया गया। वैसे तो पिछले महीने की सुनवाई के दौरान कमीशन को सौंपे तथ्यों में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सी.के. मिश्रा ने भी माना था कि पैनल की ओर से तय किए गए नामों में शामिल डा. जगतराम की वरिष्ठता सबसे ऊपर है। लेकिन पैनल में डा. जगतराम को नंबर तीन पर रखा गया है। बताया गया कि पैनल में शामिल एक डाक्टर एच.ओ.डी. भी नहीं है। जबकि चयन प्रक्रिया के मापदंड में एच.ओ.डी. होना अनिवार्य है।

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