Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Sep, 2024 12:41 PM
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। माना जाता है कि इन कर्मों से पितर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि और धन-वैभव का आशीर्वाद देते हैं।...
नेशनल डेस्क: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। माना जाता है कि इन कर्मों से पितर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि और धन-वैभव का आशीर्वाद देते हैं। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तिथि तक चलता है। आइए जानते हैं, पितृपक्ष 2024 कब से आरंभ हो रहा है और श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां क्या हैं।
पितृपक्ष 2024 की आरंभ और समाप्ति तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष 2024 में भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11:44 बजे से आरंभ होगी और 18 सितंबर को सुबह 8:04 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, पितृपक्ष का आरंभ 17 सितंबर 2024 से हो रहा है। यह 2 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगा, क्योंकि आश्विन मास की अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर की रात 9:39 बजे से शुरू होकर 3 अक्टूबर की सुबह 12:19 बजे समाप्त होगी।
28 सितंबर को किसी तिथि का श्राद्ध नहीं
बता दें कि 28 सितंबर को किसी तिथि का श्राद्ध नहीं होगा। चतुर्दशी तिथि को केवल शस्त्र, विष, दुर्घटनादि (अपमृत्यु) से मृतों का श्राद्ध होता है। उनकी मृत्यु चाहे किसी अन्य तिथि में हुई हो। चतुर्दशी तिथि में सामान्य मृत्यु वालों का श्राद्ध अमावस्या तिथि में करने का शास्त्र विधान है।
पितृपक्ष का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान, तीन पीढ़ियों का श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पितृपक्ष के दौरान पितर धरती पर निवास करते हैं और उनके परिवारजन तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध कर्म के माध्यम से उन्हें प्रसन्न करते हैं।
पितृदोष का निवारण
अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है, तो पितृपक्ष के दौरान कुछ विशेष उपाय करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है। पितृदोष के निवारण के लिए, पितरों की पूजा, तर्पण और दान-पुण्य करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पितृपक्ष 2024 का आरंभ 17 सितंबर से होगा और यह 2 अक्टूबर को समाप्त होगा। इस अवधि के दौरान, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य माना जाता है। यदि आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं या पितृदोष से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो पितृपक्ष के दौरान विधि-विधान से पूजा और तर्पण अवश्य करें।
पितृपक्ष 2024 के दौरान श्राद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण तिथियों का विवरण नीचे दिया गया है। हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है। इस अवधि में निम्नलिखित तिथियों पर श्राद्ध किया जाएगा:
पूर्णिमा का श्राद्ध - मंगलवार, 17 सितंबर 2024
प्रतिपदा का श्राद्ध - बुधवार, 18 सितंबर 2024
द्वितीया का श्राद्ध - गुरुवार, 19 सितंबर 2024
तृतीया का श्राद्ध - शुक्रवार, 20 सितंबर 2024
चतुर्थी का श्राद्ध - शनिवार, 21 सितंबर 2024
पंचमी का श्राद्ध - रविवार, 22 सितंबर 2024
षष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध - सोमवार, 23 सितंबर 2024
अष्टमी का श्राद्ध - मंगलवार, 24 सितंबर 2024
नवमी का श्राद्ध - बुधवार, 25 सितंबर 2024
दशमी का श्राद्ध - गुरुवार, 26 सितंबर 2024
एकादशी का श्राद्ध - शुक्रवार, 27 सितंबर 2024
द्वादशी का श्राद्ध और मघा श्राद्ध - रविवार, 29 सितंबर 2024
त्रयोदशी का श्राद्ध - सोमवार, 30 सितंबर 2024
चतुर्दशी का श्राद्ध - मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024
सर्वपितृ अमावस्या - बुधवार, 2 अक्टूबर 2024
इस सूची के अनुसार, आप अपने पितरों के श्राद्ध कर्म की योजना बना सकते हैं और उन्हें तर्पण व पिंडदान कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।