विश्व भारती में बोले PM मोदी- गुरुदेव के विचारों से आत्मनिर्भर भारत तक पहुंचना मुमकिन

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Dec, 2020 11:44 AM

pm modi address at the centenary celebrations of visva bharati

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल स्थित विश्व-भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व भारती की 100 साल की यात्रा काफी महत्वपूर्ण है, इस पर गर्व होना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि विश्व भारती निरंतर...

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल स्थित विश्व-भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व भारती की 100 साल की यात्रा काफी महत्वपूर्ण है, इस पर गर्व होना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि विश्व भारती निरंतर ऊर्जा देने वाला आराध्य स्थल है। पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समारोह को संबोधित किया। इस दौरान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी उपस्थित रहे। पीएम मोदी ने कहा कि मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है।

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पीएम मोदी के संबोधन के प्रमुख अंश

  • विश्वभारती, मां भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है।
  • भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है।
  • विश्व भारती के ग्रामोदय का काम तो हमेशा से प्रशंसनीय रहे हैं। आपने 2015 में जिस योग डिपार्टमेंट शुरू किया था उसकी भी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। प्रकृति के साथ मिलकर अध्ययन और जीवन दोनों का साक्षात उदाहरण आपका विश्वविद्यालय परिसर है।
  • भारत इंटरनेशनल सोलर एलायंज के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है।
  • भारत पूरे विश्व में इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस अकॉर्ड के पर्यावरण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
  • जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19-20वीं सदी का विचार आता है लेकिन ये भी एक तथ्य है कि इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी। भारत की आजादी के आंदोलन को सदियों पहले से चले आ रहे अनेक आंदोलनों से ऊर्जा मिली थी।

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विश्वभारती विश्वविद्यालय के बारे में कुछ खास बातें

  • विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना 1921 में रवींद्रनाथ टैगोर ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन नगर में की थी।
  • रवींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर ने 1863 ई. में अपनी ध्यान साधना के लिए कोलकाता के निकट बोलपुर नाम के गांव में एक आश्रम की स्थापना की थी, जिसका नाम उन्होंने शांति-निकेतन' रखा था। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसी जगह पर बालकों की शिक्षा हेतु एक प्रयोगात्मक विद्यालय स्थापित किया था, इसे प्रारंभ में ब्रह्म विद्यालय और बाद में शांति निकेतन' नाम दिया। 
  • शांति निकेतन को अब विश्वभारती भी कहते हैं और आज यहां लगभग 6000 छात्र पढ़ते हैं। 
  • मई साल 1951 में संसद के एक अधिनियम के तहत विश्व-भारती को एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और 'राष्ट्रीय महत्व का संस्थान' घोषित किया गया था।
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