PM मोदी ने अंडमान-निकोबार को दिए बंपर तोहफे, तीन द्वीप के नाम भी बदले

Edited By Yaspal,Updated: 30 Dec, 2018 09:05 PM

pm modi changed name of three islands

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार के तीन द्वीपों के नाम बदलने की रविवार को घोषणा की। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा यहां तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ पर यह घोषणा की गई। मोदी ने भाषण के दौरान कहा कि रॉस द्वीप का नाम...

पोर्ट ब्लेयरः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार के तीन द्वीपों के नाम बदलने की रविवार को घोषणा की। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा यहां तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ पर यह घोषणा की गई। मोदी ने भाषण के दौरान कहा कि रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा जाएगा, नील द्वीप को अब से शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा।
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इस खास मौके पर प्रधानमंत्री ने एक स्मारक डाक टिकट, ‘फस्र्ट डे कवर’ और 75 रुपया का सिक्का भी जारी किया। साथ ही उन्होंने बोस के नाम पर एक मानद विश्वविद्यालय की स्थापना की भी घोषणा की। इससे पहले मोदी ने यहां मरीना पार्क का दौरा किया और 150 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यहां उन्होंने पार्क में स्थित नेताजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।
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सेक्यूलर जेल में शहीदों को दी श्रदांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां सेल्युलर जेल का दौरा किया और औपनिवेशिक भारत में यहां कैद किए गए तथा फांसी पर लटकाए गए राजनीतिक बंदियों को श्रद्धांजलि दी। जेल परिसर में पहुंचने के बाद मोदी ने शहीद स्तंभ पर पुष्पचक्र अॢपत किया और फिर उस कोठरी में गए जहां हिन्दुत्व विचारक वीर सावरकर को रखा गया था। राजनेता और हिंदू दर्शन में विश्वास करने वाले विनायक दामोदर सावरकर को अंग्रेजों ने कैद करने के बाद 1911 में यहां सेल्युलर जेल स्थानांतरित कर दिया था।
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कोठरी में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री वहां जमीन पर बैठ गए और सावरकर के चित्र के समक्ष कुछ देर तक आंखें बंद कर हाथ जोड़कर बैठे रहे। इसके बाद वह जेल के केंद्रीय टावर की ओर गए और संगमरमर की पट्टिका, जिस पर वहां रखे गए कैदियों के नाम अंकित हैं, के समक्ष कुछ देर तक ठहरे।
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मोदी फांसी के तख्त की ओर भी गए जहां एक बार में तीन कैदियों को फांसी देने की व्यवस्था थी। जेल परिसर स्थित संग्रहालय का दौरा करने के बाद उन्होंने आंगुतक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए। 1896 से 1906 के बीच बनी सेल्युलर जेल को काला पानी के तौर पर भी जाना जाता है। इस जेल में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान फकाल-हक खैराबादी, योगेंद्र शुक्ला, बटुकेश्वर दत्त और सचिन्द्र नाथ सान्याल समेत कई नेताओं का रखा गया था।

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