कृषि कानूनों पर खुलकर बोले पीएम मोदी, कहा- हमें आगे बढ़ने की जरूरत

Edited By Yaspal,Updated: 10 Feb, 2021 07:20 PM

pm modi spoke openly on agricultural laws said we need to move forward

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए कृषि कानूनों पर कहा कि ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत आवश्यक है और वर्षों से जो कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है उसे बाहर लाने के लिए प्रयास करना ही होगा। उसे करने की दिशा में एक ईमानदारी से प्रयास किया है। कृषि...

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए कृषि कानूनों पर कहा कि ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत आवश्यक है और वर्षों से जो कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है उसे बाहर लाने के लिए प्रयास करना ही होगा। उसे करने की दिशा में एक ईमानदारी से प्रयास किया है। कृषि क्षेत्र की भावी चुनौतियों को अभी से डील करना होगा। उसको करने के पीछे हमने प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मैं देख रहा था यहां पर जो चर्चा हुई, कांग्रेस के साथियों ने जो चर्चा की। कानून के रंग पर तो चर्चा कर रहे थे। काला है या सफेद, उसके कंटेट पर चर्चा करते, उसके इंटेट पर चर्चा करते।

पीएम ने कहा कि जहां तक आंदोलन का सवाल है दिल्ली के बाहर हमारे जो किसान भाई बहन बैठे हैं, जो भी गलत धारणा बनाई गईं, अफवाहें फैलाई गईं उसके शिकार हुए हैं। इस बीच कांग्रेस नेता ने कृषि कानूनों पर टोका टोकी शुरू कर दी। इसके कुछ देर बाद कांग्रेस सांसद लोकसभा से बाहर चले गए। पीएम ने कहा कि आंदोलन कर रहे सभी किसान साथियों की भावनाओं का ये सदन भी, ये सरकार भी आदर करती है, आदर करती रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार के वरिष्ठ मंत्री, जब ये आंदोलन पंजाब में था तब भी और अब भी आदरभाव के साथ चर्चा करे रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बाचतीच में किसानों की शंकाएं ढूढने का प्रयाक किया गया। उन्होंने कहा कि अगर इसमें कोई कमी है तो सरकार इसको ठीक करने के लिए तैयार है, इसमें क्या जाता है। ये देश देशवासियों के लिए, अगर कोई निर्णय करते हैं तो किसानों के लिए है। लेकिन हम इंतजार करते हैं कि कोई चीज स्पेसिफिक बताते हैं तो हमें उसमें सुधार करने में कोई संकोच नहीं है।

कानून लागू होने के बाद नहीं बंद हुई कोई मंडी
पीएम ने कहा कि ये तीनों कानूनों अध्यादेश के द्वारा लागू हुए थे। बाद में संसद में भी पारित हुए। कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई है। कानून लागू होने के बाद न कहीं एमएसपी खत्म हुई है। एमएसपी की खरीदी भी बढ़ी है और ये कानून बनन के बाद बढ़ी है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के बाद और कानून बनने के बाद किसी भी किसान से पूछना चाहता हूं जो पहले हक उनके पास थे, जो व्यवस्थाएं उनके पास थीं, उसमें से कुछ भी नए कानून में छीन लिया है क्या? इसकी चर्चा उसका जवाब कोई देता नहीं है। सबकुछ वैसा का वैसा है पुराना। क्या हुआ है एक अतिरिक्त व्यवस्था मिली है वो भी क्या जरूरी है। ये तो ऑप्शनल है। आपको जहां जाना है वहां जाइए, जहां ज्यादा फायदा हो वहां किसान चला जाए। ये व्यवस्था की गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये नए कानून किसी के लिए बंधनकर्ता नहीं हैं, उनके लिए ऑप्शन है। उन्होंने कहा कि पुरानी मंडियों पर भी कोई पाबंदी नहीं है। इतना ही नहीं इस बजट में इन मंडियों को सुधारने के लिए और आधुनिक बनाने के लिए व्यवस्था की गई है। ये जो हमारे निर्णय हैं सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की भावना के साथ लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और कुछ दलों ने बड़े जोर-शोर से बातें कहीं। उन्होंने कहा कि पहली बार एक नया तर्क आया इस सदन में। हमने मांगा नहीं तो दिया क्यों? पहली बात है कि लेना या लेना आपकी मर्जी है। किसी ने किसी के गले मढ़ा नहीं है। ऑप्शनल है, एक व्यवस्था है। हिंस्दुस्तान के कुछ कोनों में इसका लाभ होगा, हो सकता है कि कुछ कोनों में न हो।

100 फीसदी कोई निर्णय स्वीकार्य नहीं हो सकता
मोदी ने कहा कि मुझे किसी संगठन ने प्रधानमंत्री सम्मान निधि की मांग नहीं की थी लेकिन हमने छोटे किसानों के लिए इसकी शुरूआत की। उन्होंने कहा कि ऐसी चीजों का शुरू में विरोध होता है, कोई भी निर्णय शत प्रतिशत सबको स्वीकार्य हो ऐसा संभव ही नहीं हो सकता है। जो ठहरा हुआ पानी है वो बीमारी पैदा करता है, जो बहता हुआ पानी है वो जीवन को उमंग से भर देता है। पीएम ने हरियाणा के एक किसान का जिक्र करते हुए कहा कि छोटे किसानों के संबंध में बात कही है। उन्होंने कहा कि छोटे किसानों को उपेक्षित करके देश का भला नहीं कर सकते हैं। पीएम ने कहा कृषि के क्षेत्र में निवेश की आवश्यकता है। जब तक हम निवेश नहीं लाएंगे, जब तक हमारी खेती को आधुनिक नहीं करेंगे तब तक हम देश के कृषि क्षेत्र को ताकतवर नहीं बना सकते है।

मोदी ने कहा कि हमारा किसान सिर्फ गेंहू और चावल पर सीमित रहे उससे बात बनने वाली नहीं है।     दुनिया में बाजार क्या है आज उसके लिए शोध हो रहे हैं। उस प्रकार की चीजों का उत्पादन करे और दुनिया के बाजार में बेचे। उन्होंने कहा कि हमारे किसान को गाइड करके नई-नई चीजों की ओर ले जाएंगे। कृषि के अंदर जितना निवेश बढ़ेगा। रोजगार के अवसर भी बढ़ेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए एग्रो बीज इंडस्ट्री की संभावना भी बढ़ेगी। हमारे किसान की परेशानियां हैं वो कम हैं। इन कृषि सुधारों से उस दिशा में कुछ न कुछ करने का प्रयास है।

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