बच्चों पर अपने फैसले न थोपे परिजन,उनका सामर्थ्य जानें-पीएम

Edited By Sonia Goswami,Updated: 29 Jan, 2019 01:04 PM

pm modi to interact with students at talkatora stadium on today

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ''परीक्षा पे चर्चा 2.0'' कार्यक्रम को संबोधित करेंगे, जिसमें वह हाईस्कूल से लेकर कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स से बातचीत करेंगे। मोदी ने पिछले साल भी बोर्ड परीक्षाओं और एडमिशन प्रक्रिया शुरू होने से पहले बातचीत की थी।...

एजुकेशन डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 'परीक्षा पे चर्चा 2.0' कार्यक्रम में देश और विदेश के स्टूडेंट्स से परीक्षा से जुड़े कई पहलुओं पर बातचीत की। इस साल स्टूडेंट्स के साथ टीचर, पैरेंट्स और विदेशी स्टूडेंट ने भी इस परीक्षा में हिस्सा लिया। इस दौरान मोदी ने तनाव रहित परीक्षा, प्रेशर रहित परीक्षा समेत कई मुद्दों पर शिक्षकों और पैरेंट्स को सुझाव दिए।


 

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इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने छात्रों से सवाल पूछे और कईयों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा कि हर दिन वे नई उर्जा के साथ काम करते हैं। छात्रों को सम्बोधित करते उन्होंने कहा कि जिंदगी का मतलब ठहराव नहीं है, जिंदगी का मतलब ही होता है गति। मोदी ने कहा कि लोग कहते हैं मोदी ने बहुत आकांक्षाएं जगा दी हैं, मैं चाहता हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की सवा सौ करोड़ आकांक्षाएं होनी चाहिए। हमें आकांक्षाओं को उजागर करना चाहिए, देश तभी चलता है। अपेक्षाओं के बोझ में दबना नहीं चाहिए। हमें अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने आपको सिद्ध करना चाहिए।

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पीएम ने कहा कि निराशा में डूबा समाज, परिवार या व्यक्ति किसी का भला नहीं कर सकता है, आशा और अपेक्षा उध्र्व गति के लिए अनिवार्य होती है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में तो हो, पर पकड़ में न हो। जब हमारा लक्ष्य पकड़ में आएगा तो उसी से हमें नए लक्ष्य की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने छात्रों को कहा कि कसौटी बुरी नहीं होती, हम उसके साथ किस प्रकार के साथ निपटते हैं, उस पर निर्भर करता है। मेरा तो सिद्धांत है कि कसौटी कसती है, कसौटी कोसने के लिए नहीं होती है।  

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'अपेक्षाओं से ज्यादा करने की इच्छा जगती है'
 

मोदी ने कहा, ''मां बाप को बच्चों को हमेशा उसी रूप में देखना चाहिए जैसा बचपन में देखते हैं। उसको नीचे गिरता देख, उसे डांटने से कोई परिवर्तन नहीं आएगा। जहां तक अपेक्षाओं का सवाल है तो वो जरूरी हैं। अपेक्षाओं से हमें भी कुछ ज्यादा करने की इच्छा जगती है।''

- इतना ही नहीं मोदी ने कहा कि अगर 50 वर्षीय पिता 14 वर्ष में आपबीती को याद करें तो कभी घर में तनाव की स्थिति पैदी नहीं होगी।
''अभिभावकों के लिए मेरा यही आग्रह होगा कि आपके सपने भी होने चाहिए अपेक्षाएं भी होनी चाहिए। लेकिन प्रेशर से स्थिति बिगड़ जाती है। प्रेशर से रिएक्शन आता है। ऐसा न हो इसका ध्यान रखना चाहिए।''
''मां बाप ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे कभी-कभी अपने यार-दोस्तों या फैमिली फंक्शन में जाते हैं तो अपने बच्चों का रिपोर्ट कार्ड अपना विजिटिंग कार्ड बनाकर ले जाते हैं। यह समस्या की सबसे बड़ी जड़ है। इसकी वजह से आपकी सफलता या विफलता उनकी सोशल लाइफ पर असर डालती है।''
''जब छोटा बच्चा होता है, तो मां बाप उसकी गलतियों का जिक्र मेहमानों से काफी अच्छे से करते हैं। क्योंकि उसकी एक्टिविटी वो नोट करते हैं। लेकिन 7-8 साल की उम्र के बाद हम उसकी एक्टिविटी पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। वो 3-6 महीने का जब था तब से लेकर जब तक वह वयस्क नहीं हो जाता तब तक माता-पिता को उसको देखना चाहिए।''
 
'मां कभी नहीं थकती'
मोदी ने कहा, ''आप कभी सोचते हैं कि मां भी कभी थकती होगी। उसका भी मन करता है कि चलो आज सो जाएं। लेकिन जैसे ही बच्चे का स्कूल से घर आने का समय होता है तो वह दरवाजे पर मुस्कुराते हुए खड़ी रहती है। क्या हम पूछते हैं कि मां दिनभर काम करने की ऊर्जा कैसे आती है? मां कहती है कि घर का काम करने में कैसी थकावट। मैं नहीं करूंगी तो कौन करेगा। मैं भी ऐसा ही सोचता हूं। दिनभर काम करने के बाद जब बिस्तर पर जाता हूं तो दूसरे दिन नया करने का सोचता हूं।''

 

मोदी ने पिछले साल भी छात्रों से किया था संवाद

यह चर्चा ‘परीक्षा पे चर्चा 2.0’ है। पिछली बार भी मोदी ने छात्रों के साथ संवाद किया था। यह उसी का विस्तार है। इसमें देश-विदेश के दो हजार छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले छात्र 9वीं से 12वीं कक्षा के हैं। कुछ छात्र कॉलेजों के भी हैं।

 

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