ऑफ द रिकॉर्डः घटते राजस्व से PM मोदी चिंतित

Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Jan, 2020 09:55 AM

pm modi worried about declining revenue

सरकार के कर संग्रह में 2.5 लाख करोड़ की संभावित कमी की आशंका को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रहे हैं। अब यह लगभग स्पष्ट हो चुका है कि आय कर से होने वाली आय काफी कम होगी तथा...

नेशनल डेस्कः सरकार के कर संग्रह में 2.5 लाख करोड़ की संभावित कमी की आशंका को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रहे हैं। अब यह लगभग स्पष्ट हो चुका है कि आय कर से होने वाली आय काफी कम होगी तथा प्रत्यक्ष कर से होने वाली आय भी घटेगी। अर्थशास्त्रियों ने सरकार को कई उपाय सुझाए हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों ने सोने के लिए आम माफी योजना लागू करने का भी सुझाव दिया है। देश में सोने की तस्करी में काफी वृद्धि हुई है। हालांकि सरकारी सूत्रों को इस योजना में कोई दम नजर नहीं आता, चर्चा यह थी कि लोगों पर सोना रखने की एक सीमा तय की जाए जिसमें वे सीमा से अधिक सोने की घोषणा करें और माफी पाने के लिए कर अदा करें।

 

दिलचस्प यह है कि खुद सरकार की ओर से नियुक्त पैनल, जिसके अध्यक्ष जाने-माने अर्थशास्त्री डा. सुरजीत भल्ला हैं, ने अघोषित आय और सम्पत्ति के लिए कर माफी योजना का प्रस्ताव रखा है जिसमें अघोषित सम्पत्ति की घोषणा करने वालों को 15 प्रतिशत कर देना होगा। पैनल के प्रस्ताव के अनुसार घोषित राशि का 40 प्रतिशत ‘एलिफैंट बांड्स’ में डाल दिया जाएगा जिस पर 5 प्रतिशत ब्याज लगेगा और यह जमा करने वाले को 20 साल बाद दिया जाएगा। बाकी पैसा घोषणा करने वाले के पास उपलब्ध रहेगा जिसे वह भारत में इस्तेमाल कर सकता है।

 

डा. भल्ला पी.एम. मोदी के नजदीकी माने जाते हैं और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई. एम.एफ.) का कार्यकारी निदेशक बनने के लिए बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। कार्यकारी निदेशक के तौर पर उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री की पहल पर हुई थी। जाहिर है कि सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के अलावा अन्य साधनों से भी फंड जुटाना चाहती है और इसके लिए वह कुछ नए उपायों पर विचार कर रही है। यह अलग बात है कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को यह योजना रास नहीं आई है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत तौर पर कर चोरी करने वालों को इस तरह के लाभ देने के खिलाफ हैं। लेकिन बदलते समय और अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को देखते हुए इनमें से कुछ उपाय लागू किए जा सकते हैं।

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