Edited By vasudha,Updated: 17 Aug, 2018 11:48 AM
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद समूचे देश में शोक की लहर दौड़ गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यालय में पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरू हो गया है...
नेशनल डेस्क: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद समूचे देश में शोक की लहर दौड़ गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यालय में पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई राजनेता मौजूद रहे। वहीं इस दौरान मोदी ने ब्लॉग लिखकर वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने पूर्व पीएम के साथ अपने रिश्ते, उनके काम और उनके साथ गुजारे पल को याद किया।
पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि अटल जी अब नहीं रहे, मन नहीं मानता। अटल जी, मेरी आंखों के सामने हैं, स्थिर हैं। जो हाथ मेरी पीठ पर धौल जमाते थे, जो स्नेह से, मुस्कराते हुए मुझे अंकवार में भर लेते थे, वे स्थिर हैं। अटल जी की ये स्थिरता मुझे झकझोर रही है, अस्थिर कर रही है। एक जलन सी है आंखों में, कुछ कहना है, बहुत कुछ कहना है लेकिन कह नहीं पा रहा। मैं खुद को बार-बार यकीन दिला रहा हूं कि अटल जी अब नहीं हैं, लेकिन ये विचार आते ही खुद को इस विचार से दूर कर रहा हूं। क्या अटल जी वाकई नहीं हैं? नहीं, मैं उनकी आवाज अपने भीतर गूंजते हुए महसूस कर रहा हूं, कैसे कह दूं, कैसे मान लूं, वे अब नहीं हैं।
मोदी ने लिखा कि वे पंचतत्व हैं। वे आकाश, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, सबमें व्याप्त हैं, वे अटल हैं, वे अब भी हैं। जब उनसे पहली बार मिला था, उसकी स्मृति ऐसी है जैसे कल की ही बात हो। इतने बड़े नेता, इतने बड़े विद्वान, लगता था जैसे शीशे के उस पार की दुनिया से निकलकर कोई सामने आ गया है, जिसका इतना नाम सुना था, जिसको इतना पढ़ा था, जिससे बिना मिले, इतना कुछ सीखा था, वो मेरे सामने था। जब पहली बार उनके मुंह से मेरा नाम निकला तो लगा, पाने के लिए बस इतना ही बहुत है। बहुत दिनों तक मेरा नाम लेती हुई उनकी वह आवाज मेरे कानों से टकराती रही। मैं कैसे मान लूं कि वह आवाज अब चली गई है।
ब्लॉग में लिखा कि कभी सोचा नहीं था कि अटल जी के बारे में ऐसा लिखने के लिए कलम उठानी पड़ेगी। देश और दुनिया अटल जी को एक स्टेट्समैन, धारा प्रवाह वक्ता, संवेदनशील कवि, विचारवान लेखक, धारदार पत्रकार और विजनरी जननेता के तौर पर जानती है, लेकिन मेरे लिए उनका स्थान इससे भी ऊपर का था। सिर्फ इसलिए नहीं कि मुझे उनके साथ बरसों तक काम करने का अवसर मिला, बल्कि मेरे जीवन, मेरी सोच, मेरे आदर्शों-मूल्यों पर जो छाप उन्होंने छोड़ी, जो विश्वास उन्होंने मुझ पर किया, उसने मुझे गढ़ा है, हर स्थिति में अटल रहना सिखाया है।