PM ने तेल की बढ़ती कीमत और गिरते रुपए पर अधिकारियों के साथ की समीक्षा

Edited By Yaspal,Updated: 15 Sep, 2018 01:01 PM

pm reviews with rising oil prices and officials with falling rupee

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुपए की विनिमय दर में गिरावट और पेट्रोलियम ईंधन की कीमतों में लगातार तेजी के बीच देश की आर्थिक स्थिति की समीक्षा के लिए अधिकारियों के साथ शुक्रवार को...

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुपए की विनिमय दर में गिरावट और पेट्रोलियम ईंधन की कीमतों में लगातार तेजी के बीच देश की आर्थिक स्थिति की समीक्षा के लिए अधिकारियों के साथ शुक्रवार को राजधानी में बैठक की। समीक्षा बैठक शनिवार को भी चलेगी। अधिकारियों ने बताया कि पहले दिन की चर्चा में प्रधानमंत्री मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और नीति-निर्धारण में शामिल होने वाले खास-खास अधिकारियों के साथ मुलाकात की। उनके अनुसार, रुपए और पेट्रोलियम कीमत जैसे चर्चित मुद्दों के अलावा समीक्षा बैठक में आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए आवश्यक सुधारवादी उपायों पर भी चर्चा हो रही है।

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कुछ हलकों से यह भी सुझाव है कि सरकार को इस समय निर्यात को प्रोत्साहित करने के उपायों के साथ-साथ ब्याज दर बढ़ाने के उपाय भी करने चाहिए, ताकि रुपए की विनिमय दर मजबूत हो। रुपया पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था। अगस्त में रुपया छह प्रतिशत के करीब गिर कर 72 से नीचे चला गया था। इस समय डीजल और पेट्रोल के भाव भी रिकॉर्ड स्तर पर चल रहे हैं। विपक्ष ने इसके खिलाफ 10 सितंबर को भारत बंद का आयोजन किया था और डीजल-पेट्रोल पर शुल्क घटाने के लिए दबाव बनाया था। शुक्रवार को दिल्ली में पेट्रोल 81.28 रुपए और मुंबई में 88.67 रुपए प्रति लीटर तथा डीजल क्रमश: 73.30 और 77.82 रुपए लीटर के स्तर पर चला गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे के तेल में उछाल और डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट के चलते तेल कंपनियों को ईंधन के खुदरा दाम बढ़ाने पड़ रहे है।

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पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि पेट्रोल और डीजल के दाम में दो रुपए लीटर की कमी करने के लिए 30,000 करोड़ रुपए का राजस्व छोडऩा पड़ेगा। सरकार इस समय राजकोषीय घाटे के बढऩे का जोखिम नहीं ले सकती। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3.3 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है और उसको बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार का कहना है कि वह पेट्रोलियम कीमतों के मामले में 'झटके में' कोई फैसला नहीं करेगी। भारत को कच्चे तेल की आवश्यकता का 80 प्रतिशत से अधिक आयात करना पड़ता है। पेट्रोलियम महंगा होने से व्यापार घाटा बढ़ रहा है और चालू खाते का घाटा भी पहली तिमाही 2.4 प्रतिशत तक पहुंच गया।

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अमेरिका में ब्याज दरों के बढऩे से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत जैसे बाजारों से पूंजी निकाल रहे हैं। इससे उनकी मुद्राओं की विनिमय दर और चालू खाते पर दबाव बढ़ा है। ऐसे माहौल में अगस्त में निर्यात में 19 प्रतिशत की वृद्धि के साथ व्यापार घाटे की स्थिति में अप्रत्याशित सुधार दिखा। अगस्त में यह घाटा 17.40 अरब डॉलर रहा। जुलाई में व्यापार घाटा 18.02 अरब डॉलर के बराबर था। अगस्त में निर्यात 19.21 प्रतिशत बढ कर 27.84 अरब डॉलर और आयात 25.41 प्रतिशत वृद्धि के साथ 45.24 अरब डॉलर रहा।

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अगस्त में मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भी राहत रही। इस दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 10 माह के न्यूनतम स्तर 3.69 प्रतिशत तथा थोक मुद्रास्फीति 4 माह के न्यूनतम स्तर 4.53 प्रतिशत पर थी। चालू वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही अप्रैल-जून में आर्थिक वृद्धि का 8.2 प्रतिशत का आंकड़ा भी उत्साहवर्धक रहा। यह दो वर्ष का सबसे अच्छा तिमाही आंकड़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि अगली तिमाहियों में तुलनात्मक आधार ऊंचा होने से इस स्तर की वृद्धि का बने रहना कठिन होगा, पर निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था फिर गति पकड़ चुकी है।

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