2.41 लाख करोड़ के लोन को वेव व राइट ऑफ पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा, जानें हकीकत

Edited By ASHISH KUMAR,Updated: 06 Apr, 2018 05:39 AM

pnb scam bank loan write off waiver off loan congress bjp

बैंक लोन को राइट आॅफ व वेव आॅफ के बीच में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी फंस गई है। जिससे यह सवाल पैदा हो गया है कि क्या कांग्रेस पार्टी को बैंकों द्वारा लोन की रकम राइट ऑफ करने और वेव ऑफ किए जाने का अंतर पता नहीं है? क्योंकि सरकार ने जब स्वीकार किया कि...

नेशनल डेस्क: बैंक लोन को राइट आॅफ व वेव आॅफ के बीच में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी फंस गई है। जिससे यह सवाल पैदा हो गया है कि क्या कांग्रेस पार्टी को बैंकों द्वारा लोन की रकम राइट ऑफ करने और वेव ऑफ किए जाने का अंतर पता नहीं है? क्योंकि सरकार ने जब स्वीकार किया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2.41 लाख करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ कर दिया है। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि सरकार ने उद्योगपतियों का 2.41 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। हालांकि, लोग इसे मोदी सरकार को बदनाम करने की सोची-समझी चाल मान रहे हैं।
 

कांग्रेस पार्टी का दावा 
कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट पर Loans Worth ₹2.41 Lakh Crore to Corporate Bodies Waived Off शीर्षक से प्रकाशित आर्टिकल में कहा गया है। 'राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में मोदी सरकार ने कहा कि 2014 से सितंबर 2017 के बीच सरकारी बैंकों ने कारोबारी प्रतिष्ठानों को दिए 2.41 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ (वेव ऑफ) कर दिया।' कांग्रेस ने इसे 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से जोड़ दिया। पार्टी ने पूछा, 'क्या शायद यह तब नए-नए पीएम बने नरेंद्र मोदी की ओर से अपने कारोबारी मित्रों को त्वरित धन्यवाद ज्ञापन था?'
PunjabKesari
यह है हकीकत 
दरअसल, रीतब्रत बनर्जी के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने राज्यसभा को बताया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 के बीच 2,41,911 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया है। इसकी जानकारी देते हुए स्पष्ट बताया गया कि नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स (फंसे लोन) का राइटिंग ऑफ करना (बट्टा खाता में डालना) एक सामान्य प्रक्रिया है जिसे बैंक अपनी बैलेंस शीट साफ करने के लिए अपनाते हैं। शिव प्रताप शुक्ल ने अपने लिखित जवाब में बताया, 'टैक्स बेनिफिट और कैपिटल ऑप्टिमाइजेशन के लिए कर्जों एवं संबंधित मदों की रकम बट्टा खाते में डाली जाती है। ये लोन लेनेवालों पर कर्ज चुकाने का दायित्व बरकरार रहता है, कानूनी प्रक्रियाओं के तहत बकाया वसूली लगातार चलती रहती है।' जवाब में कहा गया है, 'इसलिए राइट-ऑफ से कर्जदारों को फायदा नहीं पहुंचता है।' इस लिखित जवाब के आखिरी पैरे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट, 1934 के सेक्शन 45E का हवाला देते हुए कहा गया है कि जिन कॉर्पोरेट्स के लोन राइट ऑफ किए गए, उनकी पहचान का खुलासा नहीं किया जा सकता।

 

 

 

 

कांग्रेस की साजिश? 
कांग्रेस ने अपने आर्टिकल को ट्वीटर पर ट्वीट भी किया है। इस पर कई लोग इसे कांग्रेस की साजिश के रूप में भी देख रहे हैं। सुनील जैन ने लिखा, 'राहुल गांधी, यह वाकई अविश्वसनीय है कि सिर्फ नरेंद्र मोदी पर हमला बोलने के लिए कांग्रेस पार्टी को तथ्यों को इस हद तक तोड़ना-मरोड़ना चाहिए। लोन के 'राइटिंग ऑफ' और इसके 'वेविंग ऑफ' में अंतर है। निश्चित है कि आपकी विशाल पार्टी में कुछ लोग तो यह जानते ही होंगे?'

क्या होता है राइट ऑफ? 
जब किसी लोन की ईएमआई बैंक को नहीं मिलती है, तो उसका राजस्व घटने लगता है क्योंकि तब उसे उस लोन पर ब्याज नहीं मिल रहा होता है। जब यह सिलसिला एक समयसीमा को लांघ जाता है और उस लोन से कोई आमदनी (ब्याज के रूप में) नहीं होती है तो रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक बैंक को इस लोन की रकम को अपनी बैलेंस शीट से हटाना (राइट ऑफ करना) पड़ता है। इसका यह कतई मतलब नहीं कि बैंक ने कर्जमाफी दे दी और वे लोन लेनेवाले से कर्ज की रकम नहीं वसूलेंगे, बल्कि वे कर्ज वूसली के हर मुमकिन प्रयास करते रहते हैं। इनमें लोन लेने वालों से सीधी वसूली या उनके लोन को रिकवरी कंपनी को बेचने तक के तरीके शामिल होते हैं। बैंक लोन राइट ऑफ इसलिए कर देते हैं ताकि वह घाटे के एवज में सरकार से टैक्स पर छूट पा सकें।

वेव ऑफ क्या है? 
लोन वेव ऑफ का स्पष्ट मतलब कर्जमाफी है। यानी, जब बैंक या सरकार किसी का कर्ज माफ करने का फैसला ले ले तो उसे लोन वेव ऑफ कहा जाता है। कर्जमाफी की रकम आंशिक हो सकती है या पूरी की पूरी। इसका मतलब यह है कि बैंक ने लोन वेव ऑफ कर दिया तो लोन लेनेवाला बैंक का कर्जदार नहीं रहा या जितनी रकम की माफी हुई, उतने का कर्जदार नहीं रहा। खास बात यह है कि बैंक उस व्यक्ति पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करेगा। कर्जमाफी (लोन वेव ऑफ) लिखित में भी हो सकती है या नहीं भी। यानी, जिसका कर्ज माफ हो उसे इसका लिखित साक्ष्य भी दिया जा सकता है या नहीं भी। केंद्र और राज्य सरकारों ने कई बार किसानों के कर्जे माफ किए हैं। 

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!