हर कश में जहरः एक सिगरेट में होते हैं कितने खतरनाक रसायन?...कंपनियों को देनी होगी जानकारी

Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Jun, 2022 01:15 PM

poison in every puff of cigarette

सिगरेट पीने वाले ही नहीं उसके संपर्क में आने वालों पर भी धूम्रपान अपना खतरनाक असर दिखाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक सिगरेट कितना नुकसान करती है।

नेशनल डेस्क: सिगरेट पीने वाले ही नहीं उसके संपर्क में आने वालों पर भी धूम्रपान अपना खतरनाक असर दिखाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक सिगरेट कितना नुकसान करती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब मालूम है कि सिगरेट पीना कितना घातक है तो इसके पैकेट पर क्यों नहीं लिखा जाता कि इसमें कितने खतरनाक रसायन होते हैं और इनका शरीर पर क्या असर होता है। सिगरेट में ऐसे रसायन होते हैं कि इसके सेवन से वातावरण भी यह फैल जाते हैं। इसकी वजह से बंद कार, घर, आफिस का कमरा और वहां मौजूद फर्नीचर, आदि धूम्रपान के थर्ड हैंड स्मोकिंग एरिया बन जाते हैं।

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कनाडा में भी सिगरेट पर नई नीति
कनाडा में दो दशक पहले एक नीति लागू की गई थी जिसमें सिगरेट और तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को यह आदेश दिया गया था कि वे सिगरेट की पैकेट पर ही नहीं बल्कि सिगरेट के एक-एक पीस पर यह लिखे कि इसमें कितने खतरनाक रसायन मिले हैं और जो शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कनाडा की मानसिक स्वास्थ्य और व्यसन मंत्री कैरोलिन बेनेट ने हाल ही में कहा था कि लोग जिसमें युवा भी शामिल हैं वे दिन में न जाने सिरगेट के कितने कश लगाते हैं लेकिन पैकेट को नहीं देखते कि इसमें कौन-कौन से रसायन मिले हैं लेकिन अब सिगरेट पर यह बातें लिखी होंगी तो इस पर ध्यान जरूर जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य देशों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा और वे भी यह नीति जरूर अपनाएंगे। वहीं अमेरिका के रिसर्चर्स भी इस तरह की नीति बनाने के हक में हैं कि सिगरेट के पैकेट पर जरूर लिखा होना चाहिए कि इसमें कितने खतराक रसायन इस्तेमाल हुए हैं। भारत भी इस पर विचार कर रहा है।

 

भारत में भी बदलाव के आसार
भारत में सिगरेट और दूसरे तंबाकू प्रोडक्ट की बिक्री और उसके सेवन को लेकर 2003 में एक कानून बनाया गया था। इस कानून का नाम है सिगरेट एंड अदर टौबेको प्रोडक्ट एक्ट, जिसे COTPA भी कहते हैं। COTPA कानून के तहत 18 साल से कम व्यक्ति को तंबाकू बेचना, स्कूल के आस-पास कोई भी तंबाकू की दुकान ना होना जैसे नियम बनाए गए थे। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार इस कानून में और बदलाव कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक खबर है कि सरकार कंपनियों को आदेश जारी कर सकती हैं कि वे सिगरेट और तंबाकू के पैकेट पर लिखे कि इसमें कौन-कौन से रसायन शामिल हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक अभी सरकार इस पर एक मसौदा तैयार कर रही है और लैब रिसर्च कर रही है कि सिगरेट में कौन से रसायन कितने खतरनाक है। इस रिसर्च के पूरे होने के बाद सरकार इस पर आगे कोई फैसला लेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों का 12 प्रतिशत भारत में है। देश में हर वर्ष एक करोड़ लोग तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा देते हैं. किशोरों की बात करें तो 13 से 15 वर्ष के आयुवर्ग के 14.6 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं।

 

तो कंपनियों को मानने होंगे आदेश
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सरकारें कानून नहीं बनाती कि लोगों को बताया जाएं कि तंबाबू उत्पादों और सिरगेट में कौन-से रसायन मिले हुए हैं तब तक कंपनियां भी नहीं बचाएंगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अगर देस-विदेश की सरकारें इस पर कानून बना दें तो कंपनियों को भी बताना पड़ेगा कि सिगरेट किस हद तक खतरनाक हैं। 

 

तो कम होंगी मौतें
आपको जानकर हैरानी होगी कि सिगरेट और बीड़ी में निकोटिन समेत 200 से ज्यादा खतरनाक रसायन होते हैं। इसमें 69 ऐसे रसायन होते हैं जो कैंसर की वजह बनते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर इन रसायनों की मात्रा कम कर दी जाए तो लाखों मौतें रोकी जा सकती हैं।

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