'जन समस्याओं के निपटारे में सबसे फिसड्डी PM मोदी का नीति आयोग'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Dec, 2017 12:26 AM

policy commission of the worst in public issues of settlement

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2,677 मामलों में से 774 मामले आयोग के पास एक साल से ज्यादा समय से लंबित हैं

नई दिल्लीः एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जन शिकायतों के निपटारे के मामले में मोदी सरकार द्वारा गठित नीति आयोग केंद्र के 52 विभागों में से सबसे सुस्त है। केंद्र सरकार का थिंक टैंक कहे जाने वाले नेशनल इंस्टिट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया यानी नीति आयोग जन-शिकायतों का निपटारा करने में खासा फिसड्डी रहा है। केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में इस तथ्य का खुलासा हुआ है।

रिपोर्ट में एक जनवरी 2014 से केंद्र सरकार के 52 मंत्रालयों में लंबित व मंत्रालयों की ओर से निपटाए गए जन शिकायत संबंधी मामलों की जानकारी दी गई है। विजिलेंस रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग को एक जनवरी 2015 से 28 दिसंबर 2017 तक 5,883 शिकायतें मिली थीं, जिनमें आयोग द्वारा सिर्फ 54 फीसदी शिकायतों का ही निपटारा कर सका है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2,677 मामलों में से 774 मामले आयोग के पास एक साल से ज्यादा समय से लंबित हैं। 

52 केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों की ओर से जन शिकायतों के निपटारे की औसत दर 97 फीसदी रही है। सरकार के पास पिछले तकरीबन चार साल में 23,87,513 जन शिकायतें आई थीं, जिनमें से 23,22,751 शिकायतों का निपटारा किया गया और 4,111 शिकायतें करीब एक साल से लंबित हैं। वहीं, जन शिकायतों के निपटारे के मामले में विदेश मंत्रालय ने सबसे तेजी से काम किया है। मंत्रालय को मिली 49,558 शिकायतों से सिर्फ एक मामला पिछले एक साल से लंबित है, जबकि 174 शिकायतें दो महीने से भी कम समय से लंबित हैं। 

नीति आयोग के बाद अन्य सुस्त विभागों में कोयला मंत्रालय द्वारा शिकायतों के निपटारे की दर 84 फीसदी रही है। वहीं, अंतरिक्ष विभाग और जनजातीय मामलों के मंत्रालयों की ओर से जन शिकायतों के निपटारे की दर 88 फीसदी रही है। परमाणु ऊर्जा विभाग ने 93 फीसदी शिकायतों का निपटारा किया है। 

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