Edited By vasudha,Updated: 22 Aug, 2018 06:32 PM
केरल में बारिश से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को बचाने के लिए एक ओर जहां अभियान लगभग समाप्त होने जा रहा है वहीं दूसरी ओर राज्य में राजनीतिक युद्ध छिड़ गया है। कांग्रेस नीत यूडीएफ विपक्ष और भाजपा ने इस ‘‘ मानवजनित त्रासदी ’’ के लिए राज्य...
नेशनल डेस्क: केरल में बारिश से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को बचाने के लिए एक ओर जहां अभियान लगभग समाप्त होने जा रहा है वहीं दूसरी ओर राज्य में राजनीतिक युद्ध छिड़ गया है। कांग्रेस नीत यूडीएफ विपक्ष और भाजपा ने इस ‘‘ मानवजनित त्रासदी ’’ के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है। केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने वाम नीत राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राज्य में 40 बांधों के गेट किन परिस्थितियों में खोले गए थे, उनकी न्यायिक जांच की जाए।
चेन्निथला ने कहा कि सरकार को यह अंदाजा ही नहीं था कि पाम्बा नदी पर बने नौ बांध, इडुक्की और एर्नाकुलम जिलों में 11 बांध और त्रिशूर में चालाकुडी नदी पर बने छह बांध खोले जाने पर कौन से इलाके डूब जाएंगे। उन्होंने कहा कि वैसे तो इस बार 41.44 फीसदी बारिश अधिक हुई है लेकिन बाढ़ के जो हालात बने हैं उनकी वजह बारिश नहीं बल्कि बिना किसी पूर्व चेतावनी के 44 बांधों के गेट खोलना था। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह आपदा मानवजनित थी।
वहीं भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने इसके लिए पिनारयी विजयन सरकार की अदूरर्दिशता को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) के अध्यक्ष केपी श्रीधरन नायर ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड की ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई। बांधों का प्रबंध केएसईबी के हाथों में है। उन्होंने कहा कि बांधों के गेट चेतावनी जारी करने के बाद ही खोले गए थे। उन्होंने कहा कि बांधों के गेट खोलने के लिए बोर्ड को दोष नहीं देना चाहिए क्योंकि भारी बारिश के कारण ज्यादातर नदियां उफान पर थीं।