Edited By Monika Jamwal,Updated: 15 Sep, 2018 04:32 PM
झज्जर कोटली से सटे गांव ककरयाल में वीरवार को मुठभेड़ में मारे गये आतंकियों के शवों पर सियासत शुरू हो गई है।
जम्मू: झज्जर कोटली से सटे गांव ककरयाल में वीरवार को मुठभेड़ में मारे गये आतंकियों के शवों पर सियासत शुरू हो गई है। कश्मीर केन्द्रित पार्टियां और संगठन आतंकियों के शवों को सेना द्वारा घसीेटे जाने का विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे सन्देश और फोटोज शेयर किये जा रहे हैं और इसे मानवाधिकार का उल्लंघन करार दिया जा रहा है। कांग्रेस के नेता रशीद अलवी ने भी इसकी निंदा की है।
बात अगर झज्जर कोटली और आस-पास के लोगों की करें तो उन्होंने इस तरह आतंकियों के शवों को लेकर हो रही राजीति का विरोध किया है। सिर्फ यही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर लोग हर शेयर और मैसेज का विरोध कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि अगर आतंकियों का मानवाधिकार होता है तो सेना के अधिकार कहां हैं। आतंकी व पाकिस्तानी सैनिक जब सेना के जवानों के सिर काट कर ले जाते हैं तब विरोध क्यों नहीं किया जाता है।
सैन्य सूत्रों के अनुसार आतंकियों के शवों को घसीटा नहीं जाता है बल्कि यह एक प्रक्रिया होती है। कई बार आतंकी अपने साथ विसफोटक सामग्री बांधकर चलते हैं। उनकी तलाशी लेने पर विसफोट हो सकता है। ऐसे में शवों के पैरों में रस्सी या तार बांधकर कुछ दूरी तक ले जाया जाता है ताकि अगर कोई विसफोट हो तो रगड़ से फट जाए और किसी को कोई नुकसान न हो।