Edited By Yaspal,Updated: 17 Sep, 2024 05:11 PM
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने पिछले दिनों गणेश पूजन में भाग लिया था इसलिए कांग्रेस और उसके ‘इकोसिस्टम' के लोग उन पर भड़के हुए हैं तथा अंग्रेजों की तरह आज भी समाज को बांटने और तोड़ने में लगे ‘सत्ता के भूखे लोगों' को गणेश...
भुवनेश्वरः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने पिछले दिनों गणेश पूजन में भाग लिया था इसलिए कांग्रेस और उसके ‘इकोसिस्टम' के लोग उन पर भड़के हुए हैं तथा अंग्रेजों की तरह आज भी समाज को बांटने और तोड़ने में लगे ‘सत्ता के भूखे लोगों' को गणेश पूजा से परेशानी हो रही है। भुवनेश्वर में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने यह टिप्पणी प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के आवास पर उनके गणेश पूजा अनुष्ठान में भाग लेने के लिए विपक्षी दलों द्वारा आलोचना किए जाने के संदर्भ में की। इस विवाद पर पहली बार प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की।
देश के कई हिस्सों में आज हो रहे गणेश विसर्जन का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि आज के इस अहम दिन देश को उन चुनौतियों पर भी ध्यान देना है, जो देश को पीछे धकेलना में जुटी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज, जब हम गणपति बप्पा को विदाई दे रहे हैं तो मैं एक विषय इसी से जुड़ा उठा रहा हूं। गणेश उत्सव हमारे देश के लिए केवल एक आस्था का पर्व ही नहीं है, बल्कि गणेश उत्सव ने हमारे देश की आजादी में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी।'' उन्होंने कहा कि जब सत्ता की भूख में अंग्रेज देश को बांटने में लगे थे तब देश को जातियों के नाम पर लड़वाना, समाज में जहर घोलना, बांटो और राज करो उनका हथियार बन गया था।
कोई भेद नहीं, कोई फर्क नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा कि तब लोकमान्य तिलक ने गणेश उत्सव के सार्वजनिक आयोजनों के जरिए भारत की आत्मा को जगाया था। उन्होंने कहा कि ऊंच-नीच, भेदभाव, जाति-पाति इन सबसे ऊपर उठकर हमारा धर्म हमें जोड़ना सिखाता है और गणेश उत्सव, इसका प्रतीक बन गया था। उन्होंने कहा, ‘‘आज भी जब गणेश उत्सव होता है, हर कोई उसमें शामिल होता है। कोई भेद नहीं, कोई फर्क नहीं, पूरा समाज एक शक्ति बनकर खड़ा होता है। बांटो और राज करो की नीति पर चलने वाले अंग्रेजों की नजरों में उस समय भी गणेश उत्सव खटकता था। आज भी समाज को बांटने और तोड़ने में लगे सत्ता के भूखे लोगों को गणेश पूजा से परेशानी हो रही है।'' उन्होंने कहा, ‘‘आपने देखा होगा, कांग्रेस और उसके इकोसिस्टम के लोग इसलिए भड़के हुए हैं पिछले कुछ दिनों से, क्योंकि मैंने गणेश पूजन में भाग लिया था।''
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने गत बुधवार को राजधानी दिल्ली में सीजेआई के आवास पर गणपति पूजा में भाग लिया था। इस समारोह से संबंधित एक वीडियो में चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास अपने घर पर मोदी का स्वागत करते हुए दिखाई दे रहे थे। सीजेआई के आवास पर मोदी के पूजा में शामिल होने पर विपक्ष के कई नेताओं और उच्चतम न्यायालय के कुछ वकीलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
इस विवाद पर राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा था कि सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों को किसी निजी आयोजन का प्रचार नहीं करना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन' (एससीबीए) के अध्यक्ष सिब्बल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को कभी ऐसे निजी आयोजन में शामिल होने में अपनी रुचि नहीं दिखानी चाहिए थी और उन्होंने जिनसे सलाह ली होगी उन्हें उनको बताना चाहिए था कि इससे गलत संदेश जा सकता है।
शिव सेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा था कि जब ‘संविधान के रक्षक नेताओं से मिलते हैं' तो लोगों के मन में संदेह पैदा होता है। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा था कि भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत से समझौता किया है।
भगवान गणेश की प्रतिमा को ही सलाखों के पीछे डाल दिया
बहरहाल, प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कर्नाटक में गणेश विसर्जन के दौरान हुए एक विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि जहां इनकी सरकार है वहां तो इन लोगों ने और भी बड़ा अपराध किया। उन्होंने कहा, ‘‘इन लोगों ने भगवान गणेश की प्रतिमा को ही सलाखों के पीछे डाल दिया। पूरा देश उन तस्वीरों से विचलित हो गया।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह नफरत भरी सोच, समाज में जहर घोलने की यह मानसिकता हमारे देश के लिए बहुत खतरनाक है। इसलिए ऐसी नफरत की ताकत को हमें आगे नहीं बढ़ने देना है।''
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान हैदराबाद मुक्ति दिवस का भी उल्लेख किया और कहा कि आजादी के बाद ‘अवसरवादी लोग' जिस तरह सत्ता के लिए देश के टुकड़े-टुकड़े करने के लिए तैयार हो गए थे, उन हालातो में सरदार पटेल सामने आए और उन्होंने असाधारण इच्छा शक्ति दिखाकर देश को एक किया। उन्होंने कहा, ‘‘हैदराबाद में भारत विरोधी कट्टरपंथी ताकतों पर नकेल कसकर 17 सितंबर को हैदराबाद को मुक्त कराया गया। इसलिए हैदराबाद मुक्ति दिवस केवल एक तारीख नहीं है, यह देश की अखंडता के लिए राष्ट्र के प्रति हमारे दायित्वों के लिए एक प्रेरणा भी है।''