पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कार्यक्रम का न्योता स्वीकार करने के बाद सियासी दलों में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच कांग्रेस और अन्य दलों के निशाने पर आए पूर्व राष्ट्रपति ने अब इस पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मुझे भी कुछ कहना है, मैं नागपुर में ही कहू
नेशनल डेस्क: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कार्यक्रम का न्योता स्वीकार करने के बाद सियासी दलों में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच कांग्रेस और अन्य दलों के निशाने पर आए पूर्व राष्ट्रपति ने अब इस पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मुझे जो भी कुछ कहना है, मैं नागपुर में ही कहूंगा।
नागपुर से ही दूंगा जवाब
प्रणव मुखर्जी ने एक इंटरव्यू में कहा कि आरएसएस के कार्यक्रम का न्योता स्वीकार करने के बाद मुझे कई पत्र मिले हैं और कई कॉल भी आई लेकिन मैंने अभी तक किसी को भी जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि अब मैं नागपुर में ही जवाब दूंगा। दरअसल कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था जिसका उन्होंने जवाब दिया।
कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले का किया था विरोध
केरल में विधानसभा में कांग्रेसी दल के नेता रमेश थेन्नीथाला ने कहा कि, प्रणब मुखर्जी के इस फैसले से सेक्युलर विचारधारा के लोगों को झटका लगेगा। पूर्व राष्ट्रपति के आरएसएस के कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए था। वहीं कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रणब मुखर्जी जैसे विद्वान और सेकुलर आदमी को RSS के साथ किसी तरह की नजदीकी नहीं दिखानी चाहिए। उनके कार्यक्रम में जाने का देश के सेक्युलर माहौल पर बहुत गलत असर पड़ेगा। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति ने आरएसएस के नागपुर में होने प्रशिक्षण कार्यक्रम के समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आने का न्योता स्वीकार कर लिया है। जिसका कांग्रेस के कई नेताओं ने विरोध किया था।
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