Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 May, 2017 09:16 AM
राष्ट्रपति चुनाव के जहां एक तरफ भाजपा और विपक्ष जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि वह राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल की दौड़ का हिस्सा नहीं हैं।
नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव के जहां एक तरफ भाजपा और विपक्ष जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि वह राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल की दौड़ का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल की समाप्ति में ठीक दो महीने बचे हैं। 25 जुलाई को एक नया राष्ट्रपति पदभार ग्रहण करेगा। मैं उन अधिकारियों को वापस उनके मंत्रालयों और विभागों में भेज रहा हूं जिन्होंने मेरे साथ काम किया है। एक को वाणिज्य मंत्रालय में और दो को विदेश मामले के मंत्रालय में भेजा गया है।
मुखर्जी ने यह सब बातें एक टी पार्टी के दौरान कहीं। यह पार्टी राष्ट्रपति की सचिव ओमिता पॉल ने नीदरलैंड में राजदूत नियुक्त किए गए राष्ट्रपति के प्रैस सचिव वेणु राजमणि को विदा करने के लिए दी थी जिसमें विशेष रूप से मीडियाकर्मियों को बुलाया गया था। राजमणि अगले महीने नीदरलैंड में अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे। वहीं मीडिया से रू-ब-रू होते हुए मुखर्जी ने देश में निर्णय लेने की प्रक्रिया में विमर्श और मतभेद को जरूरी बतातेे हुए कहा कि ‘तर्कसंगत भारतीय’ की गुंजाइश हमेशा होनी चाहिए लेकिन ‘असहिष्णु भारतीय’ की नहीं। प्रथम रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान देते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘‘हमारा संविधान भारत के व्यापक विचार की रूपरेखा के दायरे में हमारे मतभेदों को जगह देने का साक्षी है।’’
उन्होंने कहा कि भारत का बहुलवाद और उसकी सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई और जातीय विविधता भारतीय सभ्यता की आधारशिला रही है। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इसलिए हमें बहुत अधिक स्वर में बोलने वाले और असहमति जताने वालों को नकारने वालों की प्रभुत्ववादी बातों के संदर्भ में संवेदनशील रहना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए सोशल मीडिया और समाचार चैनलों की खबरों पर सरकार के और सरकार से इतर लोगों का उग्र, आक्रामक रख देखने को मिलता है जिसमें विशुद्ध रूप से विरोधी विचारों को नकार दिया जाता है।’’