अॉफ द रिकॉर्डः प्रणव ने जंगीपुर में प्रणव के पुत्र को किया दरकिनार

Edited By Pardeep,Updated: 21 Apr, 2019 04:44 AM

pranav bypassing pranav s son in jangipur

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी का पिछले 2 लोकसभा चुनाव में जंगीपुर निर्वाचन क्षेत्र में अच्छा प्रभाव व स्थिति थी और माकपा को छोड़कर लगभग प्रत्येक पार्टी ने उनकी मदद की थी मगर अब समय बदल गया है, जब से प्रणव मुखर्जी ने...

नेशनल डेस्क: पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी का पिछले 2 लोकसभा चुनाव में जंगीपुर निर्वाचन क्षेत्र में अच्छा प्रभाव व स्थिति थी और माकपा को छोड़कर लगभग प्रत्येक पार्टी ने उनकी मदद की थी मगर अब समय बदल गया है, जब से प्रणव मुखर्जी ने आर.एस.एस. से हाथ मिलाया और उनके मुख्यालय का दौरा किया। 
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भाजपा ने टी.एम.सी. और माकपा के वोट बैंक को काटने के लिए एक मुस्लिम महिला उम्मीदवार को खड़ा कर अभिजीत की मदद करने की कोशिश की है। यद्यपि जंगीपुर परम्परागत रूप से कांग्रेस की सीट है और अभिजीत को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए मगर अब परिस्थितियां बदल गई हैं क्योंकि ममता बनर्जी ने राज्य की सभी 42 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। 2014 के पिछले लोकसभा चुनाव में भी अभिजीत केवल 8000 मतों के मामूली अंतर से विजयी हुए थे। इस बार मतदाताओं की संख्या बढ़कर 16 लाख से अधिक हो गई है जिनमें मुसलमान मतदाताओं की संख्या 70 प्रतिशत है। 
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राज्य में माकपा के पतन के साथ ही टी.एम.सी. को काफी लाभ हुआ है। माकपा ने इस सीट के लिए एक नया चेहरा जुल्फिकार अली को खड़ा किया है जबकि टी.एम.सी. ने माकपा के पूर्व नेता खलीलुल रहमान को मैदान में उतारा है जो टी.एम.सी. में शामिल हुए थे। भाजपा ने राज्य में एक अन्य मुस्लिम उम्मीदवार हुमायूं कबीर को खड़ा किया है जो कि टी.एम.सी. के पूर्व मंत्री हैं। समूचे भारत में भाजपा ने अपने 460 उम्मीदवारों में से किसी अन्य मुस्लिम उम्मीदवार को चुनाव में नहीं उतारा है। चिंतित प्रणव मुखर्जी ने निजी तौर पर मामले को सुलझाने के लिए कोलकाता में डेरा जमा रखा है मगर ममता बनर्जी उनके बेटे की मदद नहीं करने के अपने फैसले पर अडिग हैं।
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सूत्रों का कहना है कि एक प्रमुख औद्योगिक घराना, जिसके ममता के साथ काफी सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, ने भी अभिजीत की मदद करने के लिए कहा मगर ममता विचलित नहीं हुईं। माकपा के साथ चुनावी तालमेल बनाने में कांग्रेस की विफलता ने भी इस बार अभिजीत के जीतने की संभावनाओं पर प्रश्रचिन्ह लगा दिया है। बंगलादेशी प्रवासियों पर एन.आर.सी. बिल की लटक रही तलवार से भी मुस्लिम मतदाताओं की मजबूती के साथ टी.एम.सी. का साथ देने की संभावना है जिससे अभिजीत की जीत पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है।

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