J&K में धारा 370 में बदलाव की तैयारी, BJP सांसद निशिकांत दूबे ने पेश किया प्राइवेट मैम्बर बिल

Edited By Naresh Kumar,Updated: 25 Jun, 2019 10:08 AM

preparation for change in section 370 in jammu and kashmir

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर सरकार भले ही आधिकारिक तौर पर फिलहाल कोई कार्रवाई करने से बच रही हो लेकिन सत्ताधारी पार्टी भाजपा के गोंडा से सांसद निशिकांत दूबे ने इस मामले में लोकसभा में एक प्राइवेट मैम्बर बिल इंटरड्यूज कर दिया है। यह...

जालंधर (नरेश): जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर सरकार भले ही आधिकारिक तौर पर फिलहाल कोई कार्रवाई करने से बच रही हो लेकिन सत्ताधारी पार्टी भाजपा के गोंडा से सांसद निशिकांत दूबे ने इस मामले में लोकसभा में एक प्राइवेट मैम्बर बिल इंट्रोड्यूस कर दिया है। यह संविधान संशोधन बिल है। इसमें संविधान की धारा 370 के साथ 370 ए जोडऩे की बात कही गई है। हालांकि बिल का ड्राफ्ट अभी सामने नहीं आया है लेकिन लोकसभा में बिल के इंटरड्यूज होने के बाद इस मामले में अब संसदीय कार्रवाई शुरू होने की स्क्रिप्ट जरूर लिखी गई है। गौरतलब है कि भाजपा अपने चुनाव घोषणापत्र में भी जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का वायदा करती रही है लेकिन इस मुद्दे पर राजनीतिक सहमति न होने के कारण अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है लेकिन अब सरकार लोकसभा में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई है, लिहाजा इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होने की उम्मीद बंध गई है।

क्या है धारा 370
आजादी के बाद छोटी-छोटी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल किया गया था लेकिन जब जम्मू-कश्मीर को भारत में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो उससे पहले ही पाकिस्तान समर्थित कबीलों ने आक्रमण कर दिया था, उस समय कश्मीर के राजा हरि सिंह थे। उन्होंने कश्मीर का भारत में विलय का प्रस्ताव रखा था। उस समय इतना समय नहीं था कि कश्मीर का भारत में विलय करने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी हो सके। इसे देखते हुए संविधान सभा में 370 का प्रारूप प्रस्तुत किया गया। इसके तहत बाहरी राज्यों के लोग राज्य में जमीन नहीं खरीद सकते। इसके अलावा वित्तीय आपातकाल लगाने वाली धारा 360 राज्य में लागू नहीं होती। जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा है। भारत की संसद कश्मीर में रक्षा, विदेश और संचार के लिए कोई अन्य कानून नहीं बना सकती। इसी धारा के तहत राष्ट्रपति राज्य में धारा 356 लागू नहीं कर सकते। कश्मीर की कोई लड़की बाहरी नागरिक से शादी करती है तो उसकी नागरिकता छिन जाती है।

क्या होता है प्राइवेट मैम्बर बिल
सामान्य तौर पर देश में कोई भी कानून लागू करने के लिए अथवा कानून में संशोधन के लिए सरकार बिल लेकर आती है लेकिन यदि कोई सांसद सरकार का हिस्सा नहीं है तो वह भी अपनी तरफ से सदन में प्राइवेट मैम्बर बिल के तौर पर किसी भी बिल का ड्राफ्ट प्रस्तुत कर सकता है। सदन द्वारा इसको मंजूर किए जाने के बाद यह बिल कानून की शक्ल ले लेता है। इस प्रक्रिया के जरिए सत्ताधारी पार्टी के अलावा विपक्ष के सांसद भी बिल रख सकते हैं। ऐसे बिल इंटरड्यूज करवाने के लिए सांसदों को शुक्रवार दोपहर से शाम तक का समय दिया जाता है। अपने इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने यह बिल सदन में रखा है।

49 साल से कोई प्राइवेट मैम्बर बिल कानून नहीं बना
हालांकि संविधान संसद के सदस्यों को प्राइवेट मैम्बर बिल के जरिए कानून बनाने का अधिकार देता है लेकिन पिछले 49 साल से किसी सांसद का प्राइवेट मैम्बर बिल कानून की शक्ल नहीं ले सका है। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में संसद में रखे जाने वाले प्राइवेट मैम्बर बिलों पर बहस भी नहीं होती। 1999 से 2004 के मध्य 343 प्राइवेट मैम्बर बिल आए जिनमें से 17 पर चर्चा हुई और 2009 के मध्य 328 प्राइवेट मैम्बर बिलों में से महज 14 पर चर्चा हुई, जबकि 2009 से 2014 तक आए 372 प्राइवेट मैम्बर बिलों में से महज 11 पर ही चर्चा हो पाई।

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