नेपाली संसद में अब हिंदी पर बैन की तैयारी, सासंदों ने पूछा- "क्या चीन ने दिए निर्देश ?"

Edited By Tanuja,Updated: 27 Jun, 2020 12:05 PM

preparation of ban on hindi in nepali parliament

चीन के उकसावे में आकर नेपाल लगातार भारत विरोधी गतिविधयों को अंजाम देने में लगा हुआ है। नक्शा विवाद, महिला नागरिता बिल के बाद नेपाल ...

काठमांडूः चीन के उकसावे में आकर नेपाल लगातार भारत विरोधी गतिविधयों को अंजाम देने में लगा हुआ है। नक्शा विवाद, महिला नागरिता बिल के बाद नेपाल सरकार ने अब हिंदी भाषा को लेकर नया मामला उठा दिया है । नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सियासी बगावत से देश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए अपने नागरिकों भारत विरोधी मामलों को हथियार बना रहे हैं। अब वे नेपाल संसद में हिंदी भाषा को प्रतिबंधित करने पर विचार कर रहे हैं। नेपाली सरकार पहले से ही भारत के साथ सीमा विवाद और नागरिकता को लेकर कड़े तेवर दिखा चुकी है। लेकिन, हिंदी भाषा के मुद्दे पर जनता समाजवादी पार्टी की सांसद और मधेशी नेता सरिता गिरी ने सदन के अंदर जोरदार विरोध जताया।

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उन्होंने कहा कि सरकार तराई और मधेशी क्षेत्र में कड़े विरोध को न्यौता दे रही है। उन्होंने ओली से पूछा कि क्या इसके लिए उन्हें चीन से निर्देश दिए गए हैं। उधर, जनता में कोरोना को लेकर ओली सरकार के खिलाफ पहले से ही नाराजगी है। बता दें कि नेपाल के तराई की आबादी भारतीय भाषाएं ही बोलती है नेपाल सरकार के लिए हिंदी भाषा पर प्रतिबंध लगाना आसान नहीं होगा। नेपाली के बाद इस हिमालयी देश में सबसे ज्यादा मैथिली, भोजपुरी और हिंदी बोली जाती है। नेपाल के तराई क्षेत्र में रहने वाली ज्यादातर आबादी भारतीय भाषाओं का ही प्रयोग करती है। ऐसी स्थिति में अगर नेपाल में हिंदी को बैन करने के लिए कानून लाया जाता है तो तराई क्षेत्र में इसका विरोध देखने को मिल सकता है। वैसे भी इन इलाकों के लोग सरकार से खुश नहीं हैं।

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दरअसल PM ओली की पार्टी टूट की कगार पर है। पार्टी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने ओली का इस्तीफा मांगा है और चेतावनी दी है कि ऐसा नहीं किया तो पार्टी तोड़ देंगे। दो पूर्व पीएम और कई सांसद भी ओली के खिलाफ हैं, पर ओली ने इस्तीफे से इनकार कर दिया है। नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार केएम बीरेंद्र कहते हैं, ओली कूटनीति में नेपाल के मोदी हैं। भारत विरोधी रुख में उन्हें न सिर्फ फायदा, बल्कि विरोधियों को परास्त करने का हथियार भी मिला है।’ प्रचंड के पीएम बनते ही पार्टी में संघर्ष शुरू हो गया था। विपक्ष का डर दिखाकर ओली ने उन्हें गठबंधन और फिर विलय के लिए मजबूर किया।

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दूसरा, ओली और बामदेव गौतम को ढाई-ढाई साल के लिए पीएम बनना था। पर ओली ने लिपुलेख के मुद्दे को उभारा और प्रचंड को संगठन की बागडोर सौंपकर अगले ढाई साल भी अपने नाम कर लिए। अपनी ही पार्टी में घिरने के बाद ओली पर विपक्ष भी हमलावर हो गया है। विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने संसद के निचले सदन में चीन के अतिक्रमण को रेगुलेट करने का प्रस्ताव दिया है। नेपाली कांग्रेस के सांसद देवेंद्र राज कंदेल, सत्य नारायण शर्मा खनाल और संजय कुमार गौतम ने यह प्रस्ताव पेश किया है। इसके मुताबिक, ‘चीन ने दोलका, हुमला, सिंधुपलचौक, संखूवसाभा, गोरखा और रसूवा जिलों में 64 हेक्टेयर की जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है।’

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