Edited By Seema Sharma,Updated: 28 Aug, 2018 04:44 PM
चंद्रमा पर भारत का दूसरा मिशन चंद्रयान-2 अब अगले साल जनवरी में भेजे जाने की योजना है। यह मिशन पहले दो बार टाला जा चुका है। मिशन की खास बात यह होगी कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब (72 डिग्री दक्षिण) लैंडर उतारने वाला भारत पहला देश होगा।
नई दिल्लीः चंद्रमा पर भारत का दूसरा मिशन चंद्रयान-2 अब अगले साल जनवरी में भेजे जाने की योजना है। यह मिशन पहले दो बार टाला जा चुका है। मिशन की खास बात यह होगी कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब (72 डिग्री दक्षिण) लैंडर उतारने वाला भारत पहला देश होगा।
इसरो के अध्यक्ष के. शिवन ने आज यहां संवाददाताओं को बताया कि चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए 03 जनवरी से 16 फरवरी 2018 का विंडो तय किया गया है। कोशिश यह होगी कि तीन जनवरी को ही प्रक्षेपण किया जाए, लेकिन मौसम अनुकूल नहीं रहा तो 16 फरवरी तक प्रक्षेपण संभव होगा।
एक नजर खास बातों परः
- चंद्रमा के इस हिस्से पर ज्यादा तेज सूरज की रौशनी नहीं पड़ती।
- इससे वहां पानी और खनिजों की ज्यादा मौजूदगी की संभावना है।
- साथ ही वहां दिन ज्यादा समय के लिए रहता है जिससे प्रयोग करने में आसानी होगी।
- चंद्रयान-2 के पहले की बनावट में कुछ बदलाव किया गया है जिसके कारण यान का वजन बढ़ गया है।
- इसे देखते हुए अब इसका प्रक्षेपण जीएसएलवी एमके-3 प्रक्षेपणयान से किया जाएगा जो जीएसएलवी एमके-2 की तुलना में ज्यादा वजन ले जाने में सक्षम है।
- पहले कुल प्रक्षेपण वजन 3,250 किलोग्राम होना तय था। अब यह 3,850 किलोग्राम होगा।
- साथ ही पहले इसे 170 गुणा 24,000 किलोमीटर की कक्षा में भेजने की योजना थी, लेकिन अब इसे 170 गुणा 36,000 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जाएगा।
- यान के ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम, लैंडर का 1,471 किलोग्राम और रोवर का 27 किलोग्राम होगा।
- विभिन्न प्रयोगों के लिए ऑर्बिटर में आठ, लैंडर में चार और रोवर में दो पेलोड होंगे।
मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह में मौजूद तत्त्वों का अध्ययन करके यह पता लगाया जायेगा के उसके चट्टान और मिट्टी किन तत्त्वों से बनी हैं। साथ ही वहां मौजूद खाइओं और चोटियों की संरचना का पता लगाया जाएगा।