ये हैं राष्ट्रपति कोविंद के सामने अाने वाली पहली 5 'चुनौतियां'!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jul, 2017 04:35 PM

president ramnath kovind

रामनाथ कोविंद का देश के 14वें राष्ट्रपति बनना एक नए युग का आगाज माना जा रहा है।

नई दिल्लीः रामनाथ कोविंद का देश के 14वें राष्ट्रपति बनना एक नए युग का आगाज माना जा रहा है। देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति कोविंद एेसे समय में कुर्सी पर बैठे हैं, जब देश में कई अहम और संवेदनशील मुद्दे चिंता का विषय बने हुए हैं। राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का प्रधान होता है, इसलिए इन मामलाें में उनकी सलाह बहुत ही महत्वपूर्ण होंगी। इतना ही नहीं, इन मुद्दाें पर निर्णय लेना भी उनके लिए किसी चुनाैती से कम नहीं हाेगा, क्याेंकि उसका देश पर भी असर असर पड़ेगा। 

अाईए जानते हैं काैन सी 5 चुनाैतियाें से हाेगा काेविंद का सामनाः-

1) सीमा सुरक्षा मुद्दा:-
भारत के लिए इन दिनों सीमा सुरक्षा सबसे गंभीर मुद्दा है। जम्मू-कश्मीर के अलावा डोकलाम में भारत के साथ चीन का विवाद चरम पर है। ऐसे में कोविंद के सामने यह चुनौती होगी कि वह इस समस्या का हल निकालने के लिए क्या सलाह देते हैं।

2) निष्पक्ष भूमिकाः-
राष्ट्रपति कोविंद के सामने दूसरी चुनौती यह होगी कि उन पर यह दाग ना लगने पाए कि वह किसी विशेष पार्टी के हित में फैसला ले रहे हैं। उन्हें अगले 5 साल तक निष्पक्ष भूमिका निभानी होगी। हालांकि वे राज्यपाल जैसा जिम्मेदार पद निभा चुके हैं। एेसे में उनका राजनीतिक अनुभव इस पद के दाैरान काफी मददगार रहेगा। 

3) मॉब लिंचिंग की घटनाएं:-
कई राज्यों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी इस पर दुख जताया था। अब काेविंद इन मुद्दों पर कैसा रुख अपनाते हैं, वह काफी मायने रखता है। 

4) राज्यों के बिगड़े हालातः-
जम्मू-कश्मीर और दार्जिलिंग में पिछले कई समय से जारी हिंसा भी कोविंद के लिए चुनाैतीपूर्ण मसले हैं। देश के सभी भागों में राजनीतिक स्थिरता और शांति बनाए रखने के लिए वह क्या सलाह देंगे, यह भी देखने लायक होगा। कोविंद को ऐसे फैसले लेने से बचना होगा, जाे उनकी छवि पर किसी भी तरह का दाग लगाए।

5) साफ-सुथरी छविः-
अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने करीब 156 राज्य विधेयकों को मंजूरी दी। कई विधेयक उन्होंने पुनर्विचार के लिए वापस भी किए। अब कोविंद राष्ट्रपति हैं तो पीएम मोदी की एनडीए सरकार चाहे तो अध्यादेश लाकर अपने तमाम लंबित विधेयक पास करा सकती है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को इस बात की इजाजत भी देता है। लेकिन ऐसे में कोविंद पर मोदी सरकार का 'रबर स्टैंप' बनने का ठप्पा भी लग सकता है। इसलिए देखना हाेगा कि वह इन सभी चुनाैतियाें का कैसे सामना करते हैं और अपनी साफ-सुथरी छवि काे बरकरार रखते हैं।

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