राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद भावुक हुए रामनाथ कोविंद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jul, 2017 06:13 PM

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देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने पर रामनाथ कोविंद बेहद भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि वह गांव में फूस की झोपड़ी में रहने वाले गरीबों के प्रतिनिधि के.

नई दिल्ली: देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने पर रामनाथ कोविंद बेहद भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि वह गांव में फूस की झोपड़ी में रहने वाले गरीबों के प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रपति भवन जाएंगे और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ की भावना से देश की सेवा करेंगे।  कोविंद ने संसद भवन परिसर में राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन अधिकारी लोकसभा महासचिव अनूप मिश्रा द्वारा उनके निर्वाचन की घोषणा किए जाने के बाद उन्हें समर्थन देने वाले सभी राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं, सांसदों, विधायकों का आभार व्यक्त किया और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को भी शुभकामनाओं सहित धन्यवाद दिया। 

उन्होंने अपने बयान में कहा जिस पद का गौरव डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सर्वपल्लि राधाकृष्णन, एपीजे अदुल कलाम और प्रणब मुखर्जी ने बढ़ाया है, उस पद पर आना मेरे लिए गौरव की बात और जिम्मेदारी का एहसास करा रहा है। मेरे लिए ये भावुक क्षण है। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली में सुबह से बारिश हो रही है, ये बारिश का मौसम मुझे मेरे बचपन की याद दिलाता है, जब मैं अपने पैतृक गांव में रहता था घर कच्चा था, मिट्टी की दीवारें थी, फूंस की छत थी तब काफी तेज बारिश होती थी, तो हम सब भाई बहन दीवार के किनारे खड़े होकर बारिश के रुकने का इंतजार करते थे। आज देश में ऐसे कितने ही रामनाथ कोविंद होंगे, जो भीग रहे होंगे, कोई खेती कर रहा होगा, शाम को भोजन खाना है इसके लिए प्रबंध कर रहे होंगे। मैं उन सभी से कहना चाहता हूं कि परौख गांव का ये रामनाथ कोविंद उनका प्रतिनिधि बनकर जा रहा है। 

बिहार के राज्यपाल रहे कोविंद ने कहा कि उन्हें ये जिम्मेदारी दिया जाना देश के ऐसे हर व्यक्ति के लिए संदेश है जो ईमानदारी और प्रमाणिकता के साथ अपना काम करता है। उन्होंने कहा कि इस पद पर चुना जाना, न ही मेरा लक्ष्य था और न ही मैंने सोचा था। लेकिन अपने समाज और देश के लिए अथक सेवा भाव मुझे यहां तक ले आया है, यह इसी सेवा भाव का ही नतीजा है और यही हमारे देश की परंपरा भी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पद पर उनका चयन भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक है। इस पद की गरिमा बनाए रखना उनका पहला लक्ष्य तथा संविधान की मर्यादा को बनाए रखना उनका कर्तव्य है। उन्होंने कहा, मैं देश के सभी लोगों को नमन करते हुए ये विश्वास दिलाता हूं कि मैं सर्वे भवन्तु सुखिन: के भाव के साथ निरंतर देश की सेवा में लगा रहूंगा।

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