Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Nov, 2019 09:47 AM
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए विभिन्न हिंदू संगठनों के बीच मतभेदों से निपटने के लिए सरकार ने कानून मंत्रालय को ट्रस्ट संबंधी कानून बनाने या कानून में संशोधन करने का काम सौंपा है। यह कानून सुप्रीम कोर्ट...
नेशनल डेस्कः अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए विभिन्न हिंदू संगठनों के बीच मतभेदों से निपटने के लिए सरकार ने कानून मंत्रालय को ट्रस्ट संबंधी कानून बनाने या कानून में संशोधन करने का काम सौंपा है। यह कानून सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रस्ट बनाने को लेकर केंद्र को दिए निर्देशों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद सभी पक्षों से बातचीत कर जल्द ही कैबिनेट के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। इससे पहले कोर्ट ने विवाद संबंधी फैसला देते हुए आदेश दिया था कि मंदिर निर्माण के लिए 3 माह में ट्रस्ट का गठन किया जाए इसलिए संभावना है कि सरकार ट्रस्ट गठन और संबंधित विषयों के लिए कानून में संशोधन करे या नया कानून बनाए।
वहीं विवादित जमीन सरकारी रिकार्ड में होना भी ट्रस्ट गठन में अहम भूमिका निभा सकता है। केंद्र सरकार राम मंदिर ट्रस्ट के लिए सोमनाथ मंदिर की तरह केंद्र व राज्य सरकार द्वारा 4-4 आजीवन ट्रस्टी बना सकती है। इसमें उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष भूमिका होगी। सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट में प्रधानमंत्री मोदी एक सदस्य हैं और चेयरमैन केशुभाई पटेल हैं। इसी प्रकार राम मंदिर ट्रस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रमुख हो सकते हैं और अन्य ट्रस्टी होंगे। इस पर कानून मंत्रालय देश भर के मंदिरों के ट्रस्ट बारे अध्ययन कर रहा है ताकि उन्हें शामिल किया जा सके।
आर.एस.एस. प्रमुख मोहन भागवत सबके सामने कह रहे हैं कि राम मंदिर निर्माण में उनकी कोई भूमिका नहीं होगी किंतु वह सरकार को अंदर ही अंदर ट्रस्ट बनाने संबंधी सलाह दे रहे हैं। वह प्रधानमंत्री को प्रमुख व राम मंदिर मुहिम में जुड़े रहे लाल कृष्ण अडवानी, राम जन्मभूमि न्यास, विहिप, आर.एस.एस. प्रतिनिधि, कुछ मंत्री और अन्य संगठनों के सदस्यों को ट्रस्ट में शामिल करने पर जोर दे रहे हैं।