ऑफ द रिकॉर्डः प्रधानमंत्री ने टी.वी. पर अमित शाह को स्थिति स्पष्ट करने भेजा

Edited By Pardeep,Updated: 26 Dec, 2019 05:52 AM

prime minister t v but sent amit shah to explain the situation

केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद देश का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता है। वहीं यह बात अलग है कि वह एक बुरे दौर से गुजर रहे हैं। उन्हें कुछ समय पहले ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने भारत का अदृश्य प्रधानमंत्री...

नेशनल डेस्कः केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद देश का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता है। वहीं यह बात अलग है कि वह एक बुरे दौर से गुजर रहे हैं। उन्हें कुछ समय पहले ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने भारत का अदृश्य प्रधानमंत्री कहा था लेकिन मंगलवार को उनकी छवि इसके विपरीत देखने को मिली। 
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इससे पहले वह चाहे संसद में हों या बाहर, नागरिकता संशोधन कानून पर अक्खड़, मुखर होकर विचार रखते थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल की रैली में मुस्लिम प्रवासियों को देश के लिए खतरा बताते हुए देश से बाहर निकालने की आवश्यकता पर बल दिया था। वहीं संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मुसलमानों को छोड़कर, पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए एक विधेयक पेश करना उनका विचार था लेकिन मंगलवार को वह विनम्र और अपने पिछले रुख के बचाव में दिखे जो पहले कभी नहीं देखा गया था। 
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यह साक्षात्कार जो सभी हिंदी और अंग्रेजी टी.वी. चैनलों पर प्रसारित किया गया था, वह पहले के 2 साक्षात्कारों के विपरीत था जो उन्होंने अपने पसंदीदा चैनलों और एंकरों को दिए थे। इस दौरान उन्होंने एन.आर.सी. और  एन.पी.आर. पर जो प्रतिक्रिया दी वह पहले से बिल्कुल अलग थी। एन.आर.सी. भारतीय नागरिकों का एक राष्ट्रीय रजिस्टर है, जिसे सितम्बर 2020 में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अभ्यास पूरा होने के बाद शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि एन.आर.सी. पर तुरंत संसद व मंत्रिमंडल में चर्चा की जाएगी। 
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उन्होंने माना कि रविवार की रैली में प्रधानमंत्री ने जो कहा वह सही है। एन.आर.सी. को कभी भी मंत्रिमंडल और संसद के सामने नहीं लाया गया था इसलिए यह झूठ फैलाया गया। वहीं प्रधानमंत्री ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक के बाद अमित शाह से कहा कि उन्हें टी.वी. पर जाना चाहिए और एन.आर.सी. बारे अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। इसके बाद अमित शाह ने 45 मिनट का साक्षात्कार दिया। इस दौरान वह कई बार लडख़ड़ाए और एक बार स्वीकार किया कि प्रक्रिया के बारे में गलत जानकारी दी गई। वहीं पार्टी और सरकार में कई लोग अमित शाह द्वारा सी.ए.ए./ एन.पी.आर. और एन.आर.सी. मुद्दे से निपटने और संवेदनशीलता को महसूस करने में विफलता पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। इससे अमित शाह की लौह पुरुष की छवि धूमिल हुई है।

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