बैंकाक जेल में बंद  कैदी नम्बर 8 के लिए छिड़ी भारत- पाक में जंग

Edited By Tanuja,Updated: 03 May, 2018 06:48 PM

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थाईलैंड की राजधानी बैंकाक की एक जेल में बंद कैदी के लिए भारत और पाकिस्तान में  जंग छिड़ी हुई है। बैंकाक के माहा छाई रोड़ पर बनी सबसे पुरानी और हाई सिक्योरिटी जेल में बंद इस  कैदी नम्बर 8 का नाम है सैयद मुदस्सर हुसैन जिसे ...

बैंकाक: थाईलैंड की राजधानी बैंकाक की एक जेल में बंद कैदी के लिए भारत और पाकिस्तान में  जंग छिड़ी हुई है। बैंकाक के माहा छाई रोड़ पर बनी सबसे पुरानी और हाई सिक्योरिटी जेल में बंद इस  कैदी नम्बर 8 का नाम है सैयद मुदस्सर हुसैन जिसे लेकर पिछले 2 सालों से हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच बैंकाक की क्रिमिनल कोर्ट लट फारो में कानूनी जंग चल रही है। 

एक तरफ हिंदुस्तान सैयद मुदस्सर हुसैन उर्फ मुन्ना झिंगाड़ा को अपना नागरिक बता रहा है, तो दूसरी तरफ पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान उसे मोहम्मद सलीम बताते हुए अपना नागरिक होने का दावा कर रहा है। सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या है कि बैंकाक की जेल बंद कैदी नम्बर 8 के लिए दोनों देशों के के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है?
दरअसल, पाकिस्तान की सरकारी खुफिया एजेंसी आईएसआई और ग्लोबल टेररिस्ट करार दिए जा चुके अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के बीच गठजोड़ के कई अहम राज मुदस्सर हुसैन उर्फ मुन्ना झिंगाड़ा के सीने में दफन हैं। ऐसे में इंडियन एजेंसी और भारत सरकार को लगता है कि मुदस्सर हुसैन को अपनी कस्टडी में लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब किया जा सकता है।
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लेकिन पाकिस्तान ने बाकायदा मोहम्मद सलीम के पासपोर्ट के साथ बैंकाक की अदालत और वहां की सरकार के सामने दावा ठोक दिया कि वो मोहम्मद सलीम है, जो साल 2000 में बैंकाक आया था। यूं तो मुन्ना झिंगाड़ा बैंकाक की जेल में साल 2000 से बंद है लेकिन झिंगाड़ा को भारत लाने की कोशिशें उस वक्त तेज हो गईं जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2016 के नवम्बर माह में बैंकाक गए थे। मुदस्सर हुसैन उर्फ मुन्ना झिंगाड़ा भारत के लिए अहम साबित हो सकता है।  

कौन है मुदस्सर हुसैन सैयद उर्फ मुन्ना झिंगाड़ा
मुंबई के जोगेश्वरी का रहने वाला झिंगाड़ा एक गैंगस्टर था। वो ड़ॉन दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील का बेहद करीबी है। मुन्ना के खिलाफ मुंबई में 70 से ज्यादा आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। मुन्ना इतना बेखौफ और शार्प शूटर है कि दाऊद ने अपने जानी दुश्मन अरुण गवली को उसी के इलाके में मारने के लिए मुन्ना को भेजा था। साल 1997 में झिंगाड़ा को दाऊद ने नेपाल के रास्ते पाकिस्तान बुलाया और कराची में बिजनेस करवा दिया।

साल 2000 में दाऊद ने अपने जानी दुश्मन छोटा राजन को मारने का टास्क दिया और ISI की मदद से मोहम्मद सलीम के फर्जी पासपोर्ट पर उसे बैंकाक भेजा और बैंकाक में मुन्ना झिंगाड़ा ने छोटा राजन पर हमला भी किया। उस हमले में राजन को गोली तो लगी लेकिन वो बच गया। जबकि राजन का साथी रोहित वर्मा इस शूटआउट में मारा गया।  फिर बैंकाक पुलिस ने मुन्ना को वर्ष 2000 में ही गिरफ्तार कर लिया था और  तभी से वो वहां की जेल में बंद है। 

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