Edited By Riya bawa,Updated: 11 Apr, 2020 03:01 PM
कोरोना वायरस की मुफ्त जांच के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देश के निजी लैबों ने साधन की कमी...
नई दिल्ली : कोरोना वायरस की मुफ्त जांच के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देश के निजी लैबों ने साधन की कमी बताते सवाल खड़े किए है । इन लैबों का कहना है कि कोविड-19 की मुफ्त जांच के लिए हमारे पास साधन नहीं हैं। सरकार को रास्ता निकालना चाहिए, जिससे निजी लैब बढ़ती मांग के बीच जांच का काम जारी रख सकें।
संक्रमण नियंत्रण के कई उपाय भी करने पड़ते है
डॉ. डैंग्स लैब के सीईओ डॉक्टर अर्जुन डैंग ने कहा, ‘हम शीर्ष अदालत के आदेश को स्वीकार करते हैं, जिसका उद्देश्य कोविड-19 जांच की पहुंच बढ़ाने और इसे आम आदमी के लिए आसान बनाना है। निजी लैबों के लिए कई चीजों की लागत तय है, जिनमें रीएजेंट्स, उपभोग की वस्तुओं, कुशल कामगारों और उपकरणों के रख रखाव शामिल हैं। कोरोना की जांच में भी संक्रमण नियंत्रण के कई उपाय करने पड़ते हैं। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), संक्रामक परिवहन तंत्र और साफ सफाई की जरूरत। सरकार द्वारा तय 4500 रुपये की दर में निजी लैब बमुश्किल लागत निकाल पाती हैं।’ उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश का पालन करते हुए हम अभी जांच मुफ्त कर रहे हैं और इस बारे में सरकार की तरफ से चीजों को और स्पष्ट किए जाने का इंतजार है।
सरकार को उचित कदम उठाने होंगे
थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. ए वेलुमनी ने कहा, ‘निजी लैब के पास यह महंगी जांच मुफ्त करने का साधन नहीं है। यह सरकार का कर्तव्य है कि वह लागत का भुगतान करे, हम बिना लाभ के काम करेंगे। अदालत ने अपने आदेश में संकेत दिया था, सरकार को कोई रास्ता तलाशना चाहिए।