Edited By Yaspal,Updated: 20 Jan, 2021 07:13 PM
स्कूल ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एंड पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन (SISPA), राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय {गृह मंत्रालय (MHA), भारत सरकार के तहत एक राष्ट्रीय महत्व का संस्थान} ने “इंटेलिजेंस ट्रेडक्राफ्ट और विघटनकारी कार्यवाहियों के रोकथाम” पर पांच दिवसीय...
नेशनल डेस्कः स्कूल ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एंड पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन (SISPA), राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय {गृह मंत्रालय (MHA), भारत सरकार के तहत एक राष्ट्रीय महत्व का संस्थान} ने “इंटेलिजेंस ट्रेडक्राफ्ट और विघटनकारी कार्यवाहियों के रोकथाम” पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जो की विज्ञान, इंजीनियरिंग और पारंपरिक इंटेलिजेंस के तीन घटकों पर आधारित था।
शुरुआत में पुण्य सलिला श्रीवास्तव, आईएएस, अतिरिक्त सचिव, एमएचए ने आंतरिक सुरक्षा में इंटेलिजेंस नेटवर्किंग के महत्व के बारे में अपना अनुभव साझा किया और कहा कि खुफिया जानकारी क्यों और कैसे के बारे में स्पष्टता होना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने लॉ एंड ऑर्डर को इंटेलिजेंस में शामिल करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि, "इंटेलिजेंस को मजबूत बनाने की आवश्यकता है"। उन्होंने खुफ़िया जानकारी जुटाना की महत्व को बताया। उन्होंने खुफिया क्षेत्र में प्राथमिकताओं का आकलन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला क्योंकि छोटी घटनाओं से बड़े आंतरिक सुरक्षा खतरे पैदा हो सकते हैं।
ह्यूमन इंटेलिजेंस, टेक्निकल इंटेलिजेंस और पुलिस में इंटेलिजेंस की सहभागिता पर जोर देते हुए, अवधेश माथुर, आईपीएस (सेवानिवृत्त), सदस्य, एनएसएबी, ने इंटेलिजेंस पर अध्ययन पाठ्यक्रम के बारे में उनका बहुमूल्य ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने खुफिया संग्रह में क्षेत्रों के बीट कांस्टेबल की भूमिका पर जोर दिया और कैसे HINTINT, TECHINT का पूरक हो सकता है। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो (डॉ) बिमल एन पटेल ने इंटेलिजेंस कम्युनिटी और इसके विश्लेषण के बारे में जानकारी दिया। वे विभिन्न देशों में इंटेलिजेंस प्रोग्राम के चलाये जाने का उल्लेख किया और उसकी सराहना की।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) को प्रशिक्षण देगा। यह कार्यक्रम इन-सर्विस पुलिस कर्मियों के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें गुजरात, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, लेह और लद्दाख, बिहार, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह तथा दिल्ली से लगभग 60 पुलिस कर्मियों ने भाग लिया, इसके अलावा असम राइफल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
उद्घाटन दिवस पर पहले दिन NSAB के सदस्य अवधेश माथुर द्वारा सत्र का संचालन किया गया। उन्होंने बताया कि इंटेलिजेंस साइकल, कच्ची जानकारी को तैयार खुफिया में विकसित करने की प्रक्रिया है, जो नीति निर्माताओं को उनके निर्णय लेने और उसके अनुसार कार्रवाई में मदद करता है। पहले दिन के दूसरे सत्र का संचालन श्री सुदीप लखटकिया, आईपीएस (सेवानिवृत्त), महानिदेशक, एनएसजी, ने किया और बताया की LWE क्षेत्रों में खुफिया जकरियों का संग्रह कैसे किया जाता है। उन्होंने खुफिया अधिकारियों के सामने आने वाली चुनौतियों और मुद्दों के बारे में चर्चा की।