Edited By shukdev,Updated: 30 Jul, 2019 06:01 PM
राजस्थान सरकार ने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की जाने वाली हत्या (मॉब लिंचिंग) की घटनाओं पर रोकथाम के प्रयासों के तहत राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक, 2019 मंगलवार को विधानसभा में पेश किया जिसमें ऐसी घटनाओं में पीड़ित की मौत पर दोषी को कठोर आजीवन...
जयपुर: राजस्थान सरकार ने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की जाने वाली हत्या (मॉब लिंचिंग) की घटनाओं पर रोकथाम के प्रयासों के तहत राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक, 2019 मंगलवार को विधानसभा में पेश किया जिसमें ऐसी घटनाओं में पीड़ित की मौत पर दोषी को कठोर आजीवन कारावास व एक से पांच लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि ‘मॉब लिंचिंग' के मामलों में पीड़ित के चोट लगने की स्थिति में दोषी को अधिकतम 10 साल तक का कारावास व तीन लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकेगा। इसके अनुसार, ‘मॉब लिंचिंग' की घटनाओं का षडयंत्र रचने, षडयंत्र रचने में शामिल होने या घटना में शामिल होने पर भी 10 साल जेल की सजा का प्रावधान होगा।
विधेयक के अनुसार, 'मॉब' से आशय दो या दो व्यक्तियों के समूह से है। वहीं 'लिंचिंग' से आशय 'धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा, आहार व्यवहार, राजनीतिक सम्बद्धता तथा नस्ल के आधार पर मॉब द्वारा किसी तरह की हिंसा करने, हिंसक कृत्य में सहायता करने, उसके लिए उकसाने या हिंसा के प्रयास आदि से है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 16 जुलाई को बजट भाषण के जवाब के दौरान ‘मॉब लिंचिंग' और ‘आनॅर किलिंग' को रोकने के लिए कानून बनाने की घोषणा की थी।