Edited By vasudha,Updated: 13 Oct, 2020 01:51 PM
महाराष्ट्र में मंदिर खोलने की मांग जोर पकड़ती दिखाई दे रही है। इसी मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य स्थित सिद्धिविनायक मंदिर के सामने प्रदर्शन...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र में मंदिर खोलने की मांग जोर पकड़ती दिखाई दे रही है। इसी मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य स्थित सिद्धिविनायक मंदिर के सामने प्रदर्शन किया और जबरन मंदिर में घुसने का प्रयास भी किया। प्रदर्शन बढ़ने पर बीजेपी विधायक प्रसाद लाड माहिती को हिरासत में लिया गया।
मंदिर खोलने से ही क्या हिंदुत्व साबित होगा: उद्धव ठाकरे
मंदिरों को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि जैसे अचानक लॉकडाउन लगा देना ठीक नहीं था वैसे ही अचानक इसे हटा देना भी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं भी हिंदुत्व का समर्थक हूं, लेकिन इसके लिए किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग हमारे राज्य की तुलना PoK से करते हैं उनका स्वागत करने मेरे हिंदुत्व में फिट नहीं बैठता है। सिर्फ मंदिर खोलने से ही क्या हिंदुत्व साबित होगा?
राज्यपाल ने सीएम को लिखा था पत्र
दरअसल महाराष्ट्र के राज्यपाल ने सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर धार्मिक स्थानों को सावधानी के साथ खोलने को कहा है। इसमें कहा गया कि आप तो हिंदुत्ववादी हुआ करते थे, कब से सेक्युलर हो गए। उन्होंने लिखा कि विडंबना है कि एक तरफ सरकार ने बार और रेस्तरां खोले हैं, लेकिन दूसरी तरफ देवी और देवताओं के स्थल को नहीं खोला गया है। आप हिंदुत्व के मजबूत पक्षधर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ भाजपा के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। कुछ कार्यकर्ता शिरड़ी साईं बाबा मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि हमने कई बार राज्य सरकार से मांग करी कि महाराष्ट्र में मंदिर खुलने चाहिए, लेकिन उद्धव सरकार धर्म विरोधी एजेंडा चला रही है।
सरकार अहंकार से भरी है: भाजपा नेता
भाजपा नेता प्रवीण दारेकर ने कहा कि शराब की दुकानें खोली जा रही हैं। यहां तक कि होम डिलीवरी भी हो रही है लेकिन जो लोग अपनी मानसिक शांति के लिए मंदिर जाना चाहते हैं, उनके बारे में कौन सोचेगा? सरकार छोटे व्यापारियों के बारे में नहीं सोच रही है जिनकी आजीविका मंदिरों पर निर्भर करती है। सरकार अहंकार से भरी है।