पी.यू. में स्टूडैंट के साथ अनुपम -किरण ने की इंटरैक्शन, एक दूसरे से किए सवाल-जवाब

Edited By ,Updated: 27 Nov, 2016 08:44 AM

pu students in the unique interaction with anupam kher and kiran

चंडीगढ़ नहीं मैं शिमला में सैटल होना चाहूंगा, वहां मुझे मिट्टी की सौंधी-सौंधी खुशबू आती है।

चंडीगढ़ (हंस): चंडीगढ़ नहीं मैं शिमला में सैटल होना चाहूंगा, वहां मुझे मिट्टी की सौंधी-सौंधी खुशबू आती है। यहां मेरा बचपन बीता है। यह कहना है एक्टर अनुपम खेर का जो इस बात को लेकर पत्नी किरण खेर से मीठी नोक-झोक में पड़ गए। किरण ने भी कहा कि उन्हें चंडीगढ़ में सुकून मिलता है। अगर ऐसा है तो हम कसौली में मिल लिया करेंगे। अनुपम और किरण शनिवार को पी.यू. में स्टूडैंट के साथ इंटरैक्शन सैशन के दौरान मौजूद थे। इस दौरान अनुपम ने कहा कि हर किसी का यही सोचना होता है कि उसमे टैलेंट है, लेकिन ऐसा नहीं होता। अपनी नॉलेज बढ़ा लगातार सीखकर आप टैलेंट बढ़ा सकते हैं। उन्होंने स्टूडैंट को लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए के टिप्स दिए। अनुपम और किरण ने इंटरैकशन सैशन में काफी बातें स्टूडैंट्स के सामने रखीं। अनुपम ने कहा कि लाइफ में किसी इवैंट में फेल होने को सीरियस नहीं लेना चाहिए। फेलियर को लाइफ का हिस्सा मान आगे बढ़ते रहना चाहिए। अनुपम ने कहा कि नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पहले ऑडिशन में वह फेल हुए थे, लेकिन दूसरे में पास हो गए। अनुपम ने कहा कि इंडियन थिएटर विभाग में तो 15-20 स्टूडैंट ही थे जिनसे मेरा मुकाबला था लेकिन मुम्बई में बहुत बड़ा टैलेंट वर्ग था। 

 

इसके बाद मैंने फिल्मों में स्ट्रगल किया तो एक्टिंग को लेकर की गई सारी तैयारी धरी की धरी रह गई, जब मुझे ‘दिल’ फिल्म में एक सीन के दौरान चाय से मक्खी निकाल चूस कर फैंकने को कहा गया। बकौल अनुपम अगर मैं सारांश जैसी फिल्में करता तो सिर्फ 7 या 8 फिल्में ही अब तक कर पाता। लेकिन मुझे घर चलाना था। मेरा करियर बिलकुल शुरूआत से शुरू हुआ था इसलिए ज्यादा काम करना मेेर लिए जरूरी था। एजुकेशन जरूरी: वहीं किरण ने कहा कि स्टूडैंट्स के लिए टैक्निकल एजुकेशन बेहद जरूरी है। किरण ने कहा कि  अगर सिर्फ साहित्य अकादमी में या कहीं जॉब करनी है तो ठीक है लेकिन इस क्षेत्र में आगे बढऩा है तो लगातार सीखते रहना होगा। किरण ने कहा कि उनका पूरा ध्यान अर्थपूर्ण  फिल्मों की तरफ ही था, ऐसे में मैंने अभी तक 18-19 फिल्में ही कीं। अनुपम  का यह कहना का यह कहना भी सही है कि उन्हें घर चलाना था। उन्होंने मुझे लग्जरी लाइफ दी है। किरन ने कहा कि चुनावों के दौरान मैंने लोगों से वायदा किया था कि मैं उनके लिए काम करूंगी तो मैं वही लगातार कर रही हूं। 

 

साइकेट्रिस्ट के पास जाना पागलपन नहीं
अनुपम ने कहा कि मुझे रात को नींद नहीं आती थी। मेरी आंखें रुखी होने लगी थी। मैं  स्टेज पर बात करते-करते इमोशनल हो जाता था। इस समस्या को लेकर मैंने अपने आई स्पैशलिस्ट से बात की तो डाक्टर ने मुझे साइकेट्रिस्ट के पास भेज दिया। अनुपम ने कहा कि डाकटर ने उन्हें बताया कि आप कुछ डिप्रैशन में हैं। मैं वहां अपनी किताब लेकर गया। अनुपम ने कहा कि साइकैट्रिस्ट के पास जाना कोई पागलपन नहीं बल्कि वहां आपका इलाज होता है। मेरे लिए नहीं टाइम किरण के पास अनुपम ने कह कि किरण के पास मेरे लिए बिल्कुल भी समय नहीं है। काफी समय तक हम मिल नहीं पाते हैं। फोन पर लंबी बातें नहीं कर पाते हैं। किरण के पास कई बार तो बात करने के लिए कुछ ही सैकेंड होते हैं। 

 

एक-दूजे से किए सवाल-जवाब
अनुपम: तुम मुम्बई में क्या मिस करती हो ?
किरण-मैं सिकंदर और अनुपम खेर को मिस करती हूं लेकिन मुम्बई को बिलकुल मिस नहीं करती। मुम्बई या दिल्ली से जब भी चंडीगढ़ आती हूं तो लगता है कि घर आ गई हूं। मुम्बई की भीड़-भाड़ भरी जिंदगी से परेशान हो गई हूं। अनुपम वहां ज्यादातर ट्रैवल और शूट पर रहते थे, तो मैं घर पर अकेली रहती थी। ऐसे में अकेले रहने की आदत भी पड़ गई है। 

अनुपम-पार्लियामैंट से जुड़ा करियर कैसा लगा? 
किरन-मैं आगे भी पार्लियामैंट से जुड़ी रहना चाहती हूं क्योंकि यहां मुझे जनता की आवाज सुनने का मौका मिलता है। 

किरन- आप मुझे मिस करते हो?
अनुपम- मैं तुम्हारी मौजूदगी को मिस करता हूं। खासतौर से किसी खास मौके पर तुम्हारी स्माइल। 

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