Edited By Anil dev,Updated: 05 Dec, 2018 02:06 PM
पुणे की एक श्रम अदालत ने एचआईवी होने की वजह से नौकरी से निकाली गई महिला को वापस नौकरी पर रखने और उसकी कम्पनी को महिला को अभी तक का सारा वेतन देने का आदेश दिया है। करीब तीन वर्ष पहले एचआईवी संक्रमण होने के बाद कम्पनी ने महिला.....
पुणे: पुणे की एक श्रम अदालत ने एचआईवी होने की वजह से नौकरी से निकाली गई महिला को वापस नौकरी पर रखने और उसकी कम्पनी को महिला को अभी तक का सारा वेतन देने का आदेश दिया है। करीब तीन वर्ष पहले एचआईवी संक्रमण होने के बाद कम्पनी ने महिला से जबरन इस्तीफा लिया था। श्रम अदालत की पीठासीन अधिकारी कल्पना फटांगरे ने अक्टूबर में यह आदेश सुनाते हुए फार्मास्युटिकल कम्पनी से महिला की नौकरी बहाल करने और उसका अभी तक का पूरा वेतन देने और अन्य लाभ मुहैया कराने को कहा था। वकील विशाल जाधव के जरिए महिला ने अदालत का रुख किया था।
महिला को किया गया था इस्तीफा देने को मजबूर
अदालत में दी जानकारी के अनुसार महिला के चिकित्सीय लाभ हासिल करने के लिए बीमारी के दस्तावेज कम्पनी में जमा कराने के बाद वर्ष 2015 में उसे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने बताया कि महिला को एचआईवी होने की बात पता चलने के बाद एचआर अधिकारियों ने उस पर इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला, जबकि उसने कई बार कहा कि वह काम करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तंदुरुस्त है और काम करते समय सभी एहतियात बरत रही है।
2004 में पति को हुआ था एचआईवी
महिला ने अदालत से कहा कि वह विधवा है और उसे नौकरी की जरूरत है। उसके आवेदन में कहा गया कि उसे नौकरी, सामाजिक,आर्थिक सहयोग और गैर पक्षपातपूर्ण रवैये की आवश्यकता है, लेकिन महिला के एचआईवी संक्रमित होने के बाद कम्पनी ने उसके साथ भेदभाव किया। महिला के अनुसार उसके पति को वर्ष 2004 में एचआईवी हुआ था जिसके दो वर्ष उनका निधन हो गया। चिकित्सीय जांच के बाद उसे भी एचआईवी होने की बात सामने आई।