Edited By Tanuja,Updated: 23 May, 2022 06:22 PM
चीन बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के समुद्री तट से लेकर अमेरिका की नाक तले चोरी छिपे मछलियों का शिकार कर रहा है। दुनियाभर के प्राकृतिक...
इंटरनेशनल डेस्क: चीन बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के समुद्री तट से लेकर अमेरिका की नाक तले चोरी छिपे मछलियों का शिकार कर रहा है। दुनियाभर के प्राकृतिक संसाधनों पर नजरें गड़ाए बैठे ड्रैगन की इस नापाक चाल पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने पूरी तरह से कमर कस ली है। क्वॉड देश अब हिंद- प्रशांत क्षेत्र में चीन के अवैध तरीके से मछलियों के शिकार पर नजर रखने जा रहे हैं और उसके लिए सिस्टम बनाएंगे। क्वॉड देशों की 24 मई को जापान की राजधानी टोक्यो में शिखर बैठक होने जा रही है जिसमें PM मोदी भी हिस्सा लेंगे।
PM मोदी के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापानी पीएम फूमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के नए प्रधानमंत्री हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी ऐसे समय पर जापान जा रहे हैं जब ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में उन्होंने चीन नहीं जाने का फैसला किया है। क्वॉड देशों का मानना है कि समुद्र में मछलियों के 95 फीसदी अवैध शिकार के लिए चीन जिम्मेदार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक क्वॉड शिखर बैठक में चीन पर लगाम लगाने के लिए बड़ा ऐलान हो सकता है। इसके तहत सैटलाइट तकनीक का इस्तेमाल सिंगापुर, भारत और प्रशांत महासागर में स्थित वर्तमान निगरानी केंद्रों को जोड़ने के लिए किया जाएगा।
इससे हिंद महासागर से लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया और दक्षिणी प्रशांत महासागर तक में अवैध तरीके से मछली पकड़ने पर निगरानी की जा सकेगी। इस सिस्टम की मदद से अमेरिका और उसके सहयोगी देश तब भी निगरानी कर सकेंगे जब मछली पकडने वाला जहाज अपने ट्रांसपोंडर्स को बंद कर देता है। ट्रांसपोंडर्स का इस्तेमाल समुद्री जहाजों की निगरानी के लिए किया जाता है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा, 'हम एक वैश्विक क्षमता देने जा रहे हैं जिससे पहली बार कई सिस्टम एक साथ जुड़ जाएंगे और अवैध जहाजों पर नजर रखी जा सकेगी।
ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ चार्ल्स इडेल का कहना है कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा अवैध मछली पकड़ने का अपराधी बन गया है। चीन ने समुद्र में मछलियों की संख्या बहुत ज्यादा कम कर दिया है और कई देशों की आजीविका को खोखला कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर चीन की गतिविधियों पर लगाम के लिए कोई भी कदम उठाया जाता है तो इसका पर्यावरण और सुरक्षा को लेकर बहुत अच्छा असर पड़ेगा। अमेरिका इसके जरिए प्रशांत महासागर के देशों की चीन पर निर्भरता को भी कम करना चाहता है।