काश!, मैं तभी मर जाता, पढ़े इस पिता के दर्दनाक आंसुओं की कहानी(Watch Pics)

Edited By ,Updated: 12 Apr, 2016 04:51 PM

qutubuddin ansari picture made him the face of horrific gujarat riots of 2002

कुतुबुद्दीन अंसारी ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करना बंद कर दें।

अहमदाबाद: कुतुबुद्दीन अंसारी ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करना बंद कर दें। दरअसल, गत 14 वर्षाें से नरेंद्र मोदी के खिलाफ गुजरात दंगों का चेहरा बने अंसारी का कहना है कि उसकी जिंदगी इस राजनीतिक खेल में काफी मुश्किल हो चुकी है। अब मेरा इस्तेमाल बंद करो।

अपने दुख काे बताते हउए कुतुबुद्दीन अंसारी ने कहा कि उस वक्त वे 29 साल के थे, जब आंखों में आंसू लिए दया और जिंदगी की भीख मांगते एक नौजवान की तस्वीर 2002 दंगे की परिभाषा बन गई। अंसारी ने कहा, मैं अब 43 साल का हूं और बीते 14 सालों से राजनीतिक दलों, बॉलीवुड और यहां तक कि आतंकी संगठनों ने मेरी उस तस्वीर का गलत तरीके से इस्तेमाल किया है।

उन्हाेंने कहा, काश, मैं उसी दौरान मर जाता क्योंकि मैं अपने बच्चों को इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता कि आखिर क्यों मेरी रोती और भीख मांगती हुई तस्वीर पेश की जाती है। पेशे से दर्जी अंसारी का कहना है कि वे गुजरात में शांति से रहना चाहते हैं। 

असम और पश्चिम बंगाल के विधान सभा क्षेत्रों में कुतुबुद्दीन की तस्वीर का एक रणनीति के तहत इस्तेमाल किया गया है। तस्वीर के साथ कुछ ऐसे कैप्शन दिए गए- 'क्या मोदी के गुजरात का मतलब विकास है? क्या आप असम को दूसरा गुजरात बनाना चाहते हैं? फैसला आपका है। असम में कांग्रेस का विकल्प कांग्रेस ही है।

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