नजरिया: राफेल पर रफूगिरि से काम नहीं चलने वाला

Edited By Sanjeev,Updated: 25 Sep, 2018 11:22 AM

rafael does not work with rafugiri

लड़ाकू विमान राफेल को लेकर देश में सियासी लड़ाई लगातार बढ़ती जा रही है। कांग्रेस ने इस मसले पर भाजपा के चारों तरफ घेरा न सिर्फ कस दिया है बल्कि वह उसे दिन -प्रतिदिन और तंग करती जा रही है। उधर बीजेपी अभी इस मामले में महज रफ्फू करके काम चला रही है

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): लड़ाकू विमान राफेल को लेकर देश में सियासी लड़ाई लगातार बढ़ती जा रही है। कांग्रेस ने इस मसले पर भाजपा के चारों तरफ घेरा न सिर्फ कस दिया है बल्कि वह उसे दिन -प्रतिदिन और तंग करती जा रही है। उधर बीजेपी अभी इस मामले में महज रफ्फू करके काम चला रही है। कभी संबित पात्रा राहुल को पाकिस्तानी चॉइस बताकर ध्यान भटका रहे हैं तो कभी कोई दूसरा प्रवक्ता बयानबाजी कर रहा है। लेकिन बीजेपी की तरफ से जो अपरिपक्व बयान आ रहे हैं उसने मामला और  शंका वाला बना दिया है।  एक सन्देश जो अब तक गया है वो यही है कि कहीं न कहीं कुछ  है जिसे लेकर बीजेपी में भी हिचक है और कोई सीधा बयान इस मसले पर नहीं आ रहा। उधर कांग्रेस ने  जिस तरह इस मसले पर मुहिम चलाकर सुनियोजित ढंग से घेरा डाला है वह  अपना काम कर गया लगता है।
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खासकर फ़्रांस के अख़बारों  और राहुल के ओलांद फ्रांस्वा वाले खुलासे के बाद मामला सुर्ख़ियों में बना हुआ है। फ़्रांस और भारतीय मीडिया जगत अब इस मामले की कई कड़ियों को जोड़ने में लगा हुआ है। यह जोड़-तोड़ 2015 से शुरू होती है जब मोदी फ्रांस दौरे पर अम्बानी को साथ लेकर गए थे। फिर  2016 में ओलांद को गणतंत्र दिवस पर मुख्यातिथि बनाए गए। उस दौरान उनके साथ आई उनकी प्रेमिका की महंगी फिल्म में अम्बानी समूह द्वारा पैसा लगाने तक बात पहुंच  गई है। फ्रांसीसी मीडिया के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वाओलांद की प्रेमिका जूली गाए  80  करोड़ की एक फिल्म बना रही हैं। चर्चा है की अम्बानी समूह इसका चौथा हिस्सा स्पॉन्सर  कर रहा है। उस बीस करोड़ को  अब रिश्वत माना जा रहा है। खासकर तबसे जबसे फ्रांसीसी मीडिया में ओलांद का वो बयान  आया है कि  अम्बानी समूह का नाम भारत सरकार ने सुझाया था। अब इस  इस सबके चलते  बीजेपी निश्चित तौर पर बैकफुट पर है। कांग्रेस ने इस मामले की जांच  कैग से कराने को लेकर हल्ला किया तो जेटली ने बयान  दे डाला कि सरकार यह कराने को तैयार है।
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जेटली को लगा होगा की अब सब शांत हो जाएगा। लेकिन कांग्रेस चतुर सुजान निकली। इस ब्यान  के आते ही कांग्रेस ने अगला हमला बोल दिया. अब कांग्रेस केंद्रीय सतर्कता आयोग यानी सीवीसी  के पास पहुंच गई है और इस सारे मसले पर  एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रही है। यानी  कांग्रेस इस सारे मामले में ड्राइविंग सीट पर फिलहाल तो दिख रही है। एक तरह से वर्तमान परिदृश्य में यह मामला करीब करीब बोफोर्स की तरह डेवेलप होता दिख रहा है। बोफोर्स केस में भी यही हुआ था।  किसी को बोफोर्स तोपों की मारक क्षमता पर शक नहीं था। अलबत्ता खुद करगिल युद्ध के बाद अटल सरकार ने माना  था कि बोफोर्स नहीं होतीं तो करगिल में विजय मुश्किल होती। अभी भी सरकार वायुसेना प्रमुख से बयान दिलवा चुकी है कि राफेल एक उम्दा लड़ाका है।  निश्चित तौर से  इस विमान की क्षमता बेहतर है। लेकिन असल मामला विमान की कीमत को लेकर है जो तीन गुना बढ़ गयी है। और इसी पर अभी तक कोई संतुष्टिजनक जवाब सरकार की तरफ से नहीं आया है।
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बोफोर्स ने राजीव गांधी को चुनाव हरवा  दिया था। अब देखना यह है कि क्या मोदी सरकार राजीव गांधी की तरह ही गलती पर गलती करती है या फिर गलती सुधारती है। वैसे  अगर सौदा रद भी होता है तो भी कई प्रश्न सामने होंगे। मसलन राफेल निर्माता कम्पनी दूसाल्ट  को 15 हजार करोड़ दिए जा चुके हैं। सौदा रद्द भी हुआ तो कम्पनी वो पैसा तो लौटने वाली नहीं। उसे  वैसे भी इतना ही मुनाफा होना था इसलिए उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन यह पैसा भारत में कुछ भी गुल खिला सकता है।  जैसे अभी प्रशांत किशोर का जुमला "चौकीदार ही चोर निकला" राहुल की जुबान पर आया है , अगर यह जनता में फैल गया तो  राफेल के बम दुश्मन पर तो जब बरसेंगे तब बरसेंगे, सबसे पहले इनका हमला दीन  दयाल मार्ग स्थित बीजेपी मुख्यालय पर होगा।

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