Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Feb, 2019 01:51 PM
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दौरान हुआ राफेल लड़ाकू विमान का सौदा पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा की गई पेशकश की तुलना में सस्ता है।
नई दिल्ली: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की राफेल विमान सौदे से जुड़ी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट बुधवार को राज्यसभा में पेश हो गयी। इसमें कहा गया है कि नए सौदे से 2.86 प्रतिशत की बचत हुई है। भारतीय वायुसेना में पूँजीगत अधिग्रहण के बारे में संसद में रखी गयी यह रिपोर्ट दो भागों में है। पहले भाग में इस बात का विश्लेषण किया गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय शुरू की गयी खरीद प्रक्रिया में अंतिम समझौता क्यों नहीं हो सका। दूसरे भाग में मौजूदा सौदे की प्रक्रिया तथा अन्य बातों का विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुराने प्रस्तावित सौदे की तुलना में नये सौदे में 2.86 प्रतिशत की बचत हुई है। इसमें हालाँकि, विमान की कीमत नहीं बताई गयी है। कैग के अनुसार, पुराने सौदे के परवान नहीं चढऩे के दो कारण रहे। पहला यह कि यह काफी बड़ा ऑर्डर था और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी होना था, इसलिए इसमें ज्यादा श्रमबल की जरूरत थी। दूसरा कारण बताया गया है कि पुराने सौदे में जो 108 विमान भारत में बनने थे उसके लिए राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दासो एविएशन ‘प्रदर्शन की गारंटी’ देने के लिए तैयार नहीं था।
बता दें कि राफेल पर कैग की रिपोर्ट पेश होने बाद कांग्रेस नेताओं ने संसद के बाहर जमकर हंगामा किया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कई बार आरोप लगा चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिलायंस ग्रुप के अनिल अंबानी को सीधा फायदा पहुंचाया है। राहुल ने दावा किया कि पीएम मोदी सीधे तौर पर इस सौदे में शामिल थे। कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव में राफेल को मुद्दा बनाकर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में है।