Edited By ,Updated: 25 Jan, 2017 03:50 PM
केंद्र सरकार आज शाम को पद्म पुरस्कारों का ऐलान करेगी। सरकार इस बार ऐसे लोगों को सम्मानित करने का मन बना रही है।
नई दिल्ली : केंद्र सरकार आज शाम को पद्म पुरस्कारों का ऐलान करेगी। सरकार इस बार ऐसे लोगों को सम्मानित करने का मन बना रही है, जो गुमनामी में रहकर समाज के लिए काम कर रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस बार करीब 120 लोगों को पद्म पुरस्कार से नवाजने जा रही हैं। इस सूची में मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में पिछले 30 साल से गुमनामी में रहकर सामाजिक कार्यों में जुटे आलोक सागर का नाम भी शामिल बताया जा रहा है।
आलोक सागर 30 सालों से बैतूल की शाहपुर तहसील के छोटे से गांव कोचामऊ में आदिवासियों के बीच रहकर उनकी शिक्षा, पर्यावरण और सामाजिक समानता जैसे मुद्दों पर काम कर रहे हैं। दिल्ली आईआईटी में बतौर प्रोफेसर भी सेवाएं दे चुके आलोक सागर ने साफ कर दिया है कि वह यह सम्मान ग्रहण नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वह मानव की समानता के लिए कार्य कर रहे हैं। वह ऐसा कोई पुरस्कार ग्रहण नहीं करेंगे, जिससे उनके आसपास के लोगों के बीच असमानता की भावना उत्पन होती हो।
कलयुग का गांधी
आलोक सागर को जानने वाले लोग उन्हें कलयुग का गांधी तक कहते हैं क्योंकि आलोक सागर ने 30 साल से विदेशी वस्तुओं और पूंजीवाद का कड़ा विरोध किया है। आलोक सागर की सोच है कि हम प्रकृति से सबकुछ ले रहे हैं लेकिन प्रकृति को क्या देते हैं इसका हिसाब होना चाहिए।
आलीशान बंगला छोड़कर झोपड़ी को बनाया आशियाना
मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले आलोक सागर ने दिल्ली में अपना आलीशान घर छोड़ दिया और 30 साल से एक मिट्टी और घासफूस से बनी झोपड़ी में रह रहे हैं। इस महान शख्सियत की जिंदगी के तमाम पहलुओं का तब पता चला, जब पिछले साल घोड़ाडोंगरी विधानसभा में चुनाव होने पर बाहरी व्यक्तियों को खोजने का पुलिस ने अभियान चलाया था। बाहरी शख्स समझकर जब पूछताछ के लिए आलोक सागर को थाने बुलाया गया, तब मालूम चला कि जिस आलोक सागर को वो कोई सन्यासी समझते आए हैं वो असल में बहुमुखी प्रतिभा का धनी हैं और उन्होंने आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन जैसे दिग्गजों को पढ़ाया है।