राहुल गांधी की ताजपोशी की तैयारियां तेज, दिवाली बाद संभाल सकते हैं 'अध्यक्ष' पद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Oct, 2017 07:08 PM

rahul gandhi can handle responsibility after diwali

सचिन ने कहा, ''पार्टी में आम भावना तो यही है। गांधी को पार्टी की कमान संभालनी चाहिए। हालांकि उपाध्यक्ष के रूप में वह अभी भी पार्टी के अधिकतर कामों को अंजाम दे रहे हैं। अब समय आ गया है कि उन्हें यह जिम्मेदारी संभाल लेनी चाहिए

नई दिल्लीः कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा पार्टी अध्यक्ष के रूप में जल्द ही नई पारी शुरू करने की अटकलों को बल मिला है। राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख सचिन पायलट ने कहा है कि अब समय आ गया है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी की कमान संभाल लेनी चाहिए तथा वह दिवाली के कुछ समय के बाद यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। 

राहुल गांधी की ताजपोशी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सचिन ने कहा, 'पार्टी में आम भावना तो यही है। गांधी को पार्टी की कमान संभालनी चाहिए। हालांकि उपाध्यक्ष के रूप में वह अभी भी पार्टी के अधिकतर कामों को अंजाम दे रहे हैं। अब समय आ गया है कि उन्हें यह जिम्मेदारी संभाल लेनी चाहिए। वैसे स्वयं उन्होंने भी कहा है कि वह इसके लिए तैयार हैं।' उन्होंने कहा, 'संगठनात्मक चुनाव कांग्रेस में चल रहे हैं। नए अध्यक्ष दिवाली के बाद जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। इसकी योजना काफी समय से चल रही है।' राहुल ने पिछले महीने अमरीका यात्रा के दौरान कहा था कि वह कांग्रेस नेतृत्व का उत्तरदायित्व संभालने के लिए तैयार हैं।

प्रियंका वाड्रा सावाल पर सचिन ने कहा, 'यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है। मेरा मानना है कि वह कांग्रेस परिवार से संबंधित हैं और जरूरत पड़ने पर अपना योगदान देती हैं। वह सक्रिय राजनीति में आयें या नहीं, यह उनका एवं उनके परिवार का निजी फैसला होगा।' कांग्रेस में बुजुर्ग पीढ़ी को युवाओं को रास्ता देने के बारे में सवाल करने पर उन्होंने कहा, 'वैसे तो यह एक स्वाभाविक क्रम है। पर बात मौका देने की नहीं सबको साथ लेकर चलने की है। ऐसा नहीं है कि कोई 'कट ऑफ डेट' होनी चाहिए।'

उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री के लिए कथित आयु मापदंड पर चुटकी लेते हुए कहा, 'राजनीति में मापदंड चयन के लिए नहीं बल्कि लोगों को हटाने के लिए बनाए जाते हैं। हमें पुरानी पीढ़ी के अनुभवों का पूरा लाभ उठाना चाहिए। हम बीजेपी की तरह मार्गदर्शक मंडल बनाने में विश्वास नहीं करते। आज आडवाणी जी और सिन्हा जी की क्या हालत बना रखी है, आप बीजेपी वालों से पूछ सकते हैं। हमारे यहां ऐसा नहीं हो सकता।'

उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि इसमें अच्छा मिश्रण होना चाहिए। साथ ही बदलाव भी होते रहने चाहिए। आजादी के बाद कांग्रेस ने भी समय समय पर अपनी सोच में बदलाव किया है।' वंशवादी राजनीति के बारे में उनके विचार पूछे जाने पर सचिन ने अपना उदाहरण देते हुए कहा, 'मेरा मानना है कि इसमें विचार करने वाली बात यह है कि आपका कामकाज, प्रदर्शन कैसा है।

आपको टिकट तो मिल गया लेकिन अंतिम निर्णय तो लाखों लोग करते हैं। महज आपके अंतिम नाम की वजह से आप बहुत दूरी तक नहीं जा पाएंगे। आपको अपना दिलो-जान लगाना पड़ता है। बहुत सारे परिवार हैं जिनके सदस्यों ने राजनीति में आने का प्रयास किया पर वे सफल नहीं हुए।'

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