ऑफ द रिकॉर्डः मोदी को हराने के लिए सीटों की कुर्बानी दे रहे राहुल

Edited By Pardeep,Updated: 09 Apr, 2019 05:28 AM

rahul gandhi sacrificing seats to defeat modi

कांग्रेस 415 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। यह संख्या 2014 के मुकाबले 49 कम है। तब उसने 464 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन 44 पर ही जीत हासिल की थी जोकि उसका अब तक का सबसे खराब रिकार्ड है। कांग्रेस ने अधिकतर राज्यों में दूसरी पार्टियों के साथ...

नेशनल डेस्कः कांग्रेस 415 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। यह संख्या 2014 के मुकाबले 49 कम है। तब उसने 464 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन 44 पर ही जीत हासिल की थी जोकि उसका अब तक का सबसे खराब रिकार्ड है। कांग्रेस ने अधिकतर राज्यों में दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन किया है। अगर वह दिल्ली और हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन कर लेती है तो सीटों की संख्या और भी कम हो सकती है लेकिन सीटों पर जीत की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। कई राज्यों में कांग्रेस का मजबूत गठबंधन है। नरेंद्र मोदी को हराने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुुल गांधी सीटों की कुर्बानी दे रहे हैं। 
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दिलचस्प बात है कि आंध्र प्रदेश में भले ही कांग्रेस ने गठबंधन नहीं किया है और वह सभी 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन इससे मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू को एंटी-टी.डी.पी. वोट घटाने में मदद मिलेगी। नायडू को यह फायदा होगा कि एंटी-टी.डी.पी. वोट कांग्रेस, वाई.एस.आर. कांग्रेस और भाजपा में बंट जाएंगे। उधर कांग्रेस के लिए राहत की बात है कि टी.आर.एस. ने भाजपा के साथ गठबंधन नहीं किया है जिससे चुनाव के बाद सभी विकल्प खुले हैं। 
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कांग्रेस का महाराष्ट्र में मजबूत गठबंधन है और उसने 23 सीटों को एन.सी.पी., स्वाभिमान पक्षे और बी.ए.वी. के लिए छोड़ दिया है। कांग्रेस अपनी सीटें और वोट बढ़ाने के लिए कर्नाटक और केरल पर ज्यादा ध्यान दे रही है। इन दोनों राज्यों में उसने क्रमश: 9 और 8 लोकसभा सीटें हासिल की थीं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जनता दल (एस) के साथ गठबंधन किया और मुख्यमंत्री पद के साथ भी समझौता किया ताकि भाजपा की सीटों की संख्या को 18 से घटाया जा सके। कांग्रेस और जे.डी.एस. दोनों मिलकर 16 से 18 सीटें जीतने का प्रयास करेंगी। राहुल गांधी ने वायनाड से चुनाव लडऩे का फैसला इसलिए किया ताकि कांग्रेस की सीटों की संख्या को बढ़ाया जा सके और उन्होंने अमेठी में भी काफी वक्त बिताया। 
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बिहार में 2014 के चुनावों के वक्त कांग्रेस ने 12 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल 2 पर जीत हासिल की लेकिन 2019 में वह 9 सीटों पर ही लड़ रही है ताकि वह कम से कम 4-5 सीटें जीत सके और भाजपा-जद(यू) तथा एल.जे.पी. को दोबारा 32 सीटें जीतने से रोक सके। तमिलनाडु में पिछली बार कांग्रेस ने सभी 39 सीटों पर चुनाव लड़ा था और चुनाव परिणामों के बाद उसके हाथ खाली रहे थे लेकिन इस बार उसने डी.एम.के. के साथ गठबंधन करते हुए केवल 8 सीटों पर लडऩे का निर्णय लिया है और वह चुनावी फसल काटने की उम्मीद में है। 
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यू.पी. में कांग्रेस का सपा और बसपा के साथ गठबंधन नहीं हो पाया और उसके लिए केवल 2 ही सीटें छोड़ी गईं। हालांकि कांग्रेस केवल 51 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है जिससे अप्रत्यक्ष रूप से सपा उम्मीदवारों को फायदा होगा। कांग्रेस को उम्मीद है कि उसे इस बार राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और असम समेत उत्तर पूर्वी भारत में पहले के मुकाबले ज्यादा सीटें मिलेंगी।         

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