Edited By Harman Kaur,Updated: 10 Sep, 2024 12:19 PM
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि 2014 के मुकाबले 2024 के आम चुनाव तक की राजनीति पूरी तरह से बदल चुकी थी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एहसास हो गया था कि उनका 400 पार का नारा लक्ष्य को नहीं भेद...
नेशनल डेस्क: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि 2014 के मुकाबले 2024 के आम चुनाव तक की राजनीति पूरी तरह से बदल चुकी थी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एहसास हो गया था कि उनका 400 पार का नारा लक्ष्य को नहीं भेद रहा है और इसकी बुनियाद ध्वस्त हो चुकी है।
'राजनीति में उतार चढ़ाव आते रहते हैं...'
राहुल गांधी ने जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ बातचीत में कहा कि राजनीति में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। PM मोदी जिस राजनीति के जरिए 2014 में सत्ता में आए, 2024 में वह पूरी तरह से बदल चुकी थी और पीएम मोदी के नेतृत्व वाले गठबंधन को निष्पक्ष चुनाव में 240 सीट जीतना भी कठिन हो सकता था। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, यह एक प्रतियोगिता है और यह इसका सिर्फ एक हिस्सा है। मुझे लगता है कि जिस तरह से मैं इसे देखता हूं, इसने हमें और इंडिया गठबंधन को यह सोच दी है कि हम कैसे आगे बढ़ें। आज के भारत में राजनीति बुनियादी तौर पर बदल गई है। हमारे यहां दूर द्दष्टिकोण पर राजनीतिक केंद्रित है। हमारी राजनीति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्दष्टिकोण से सहमत नहीं हैं, उनकी सोच से हमारी लड़ाई है और हम उससे लड़ते हैं। हम एक नई द्दष्टि की नींव रखने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने समय-समय पर ऐसा किया भी है।''
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यह भी समझने की जरूरत है कि वर्ष 2014 में जो ताकतें पीएम मोदी को सत्ता में लाई थीं, वह अब पुरानी पड़ गई हैं। कई चीज़ें एक साथ आईं। चुनाव से पहले हम इस बात पर जोर दे रहे थे कि संस्थानों पर कब्जा किया जा रहा है, शिक्षा प्रणाली पर आरएसएस का कब्जा है, मीडिया का कब्जा है और जांच एजेंसियों का कब्जा है। हालाँकि लोग इसे समझ नहीं रहे थे और हम इसका कारण समझ नहीं पा रहे थे।'' जाति व्यवस्था से जुड़ी राजनीति पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आधुनिक भारत लंबे समय से संविधान के पक्ष या विपक्ष में इस संघर्ष में लगा हुआ है। यह वास्तव में इसका मूल है - यह विचार कि सभी भारतीयों को समान होना चाहिए और जातियों के पदानुक्रम के विपरीत समान व्यवहार किया जाना चाहिए। यह संघर्ष है, और यह कोई नया नहीं है। यह एक दार्शनिक लड़ाई है और इसकी अपनी राजनीतिक संरचना है।''
संविधान की रक्षा करने वालों और इसे नष्ट करने वालों के बीच की लड़ाई: राहुल गांधी
उन्होंने कहा, ‘‘एक बैठक में, हमारे साथ काम कर रहे किसी व्यक्ति ने कहा,‘संविधान को थामने का प्रयास करें। हमने संविधान को पकड़ना शुरू कर दिया और अचानक हम जो कुछ भी कह रहे थे, वह राजनीतिक रूप से विस्फोटक हो गया। इस चुनाव में भारत को एहसास हुआ कि इसे इतनी बेरहमी से विभाजित नहीं किया जाना चाहिए, साथ ही गरीब, वंचित और उत्पीड़ति भारत को यह समझ में आया कि यदि संविधान से समझौता किया जाता है तो पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है। वह चौंकाने वाला एहसास था जो मैंने देखा। गरीब लोग गहराई से समझ गए कि अब यह संविधान की रक्षा करने वालों और इसे नष्ट करने वालों के बीच की लड़ाई है।''